
केकड़ी। कृषि उपज मंडी समिति परिसर में बुधवार को सकल दिगम्बर जैन समाज के तत्वावधान में जैनेश्वरी दीक्षा महोत्सव का आयोजन किया गया। दीक्षा समारोह में आचार्य वैराग्यनंदी ने जैन मंत्रोच्चार के साथ विधिवत दीक्षा प्रदान की। दीक्षा के बाद भागचन्द सिंहल का नया नाम मुनि श्रमणनंदी, राजेन्द्र मारवाड़ा का क्षुल्लक संस्कारनंदी व सुमित्रादेवी सिंहल का क्षुल्लिका सोहमश्री रखा गया। नवदीक्षार्थियों को लाभार्थियों ने शास्त्र, पिच्छी, जपमाला, कमण्डलु, वस्त्र इत्यादि प्रदान किए। समारोह को संबोधित करते हुए दिगम्बर जैन आचार्य वैराग्यनंदी ने कहा कि पंचम काल में मोक्ष प्राप्त नहीं हो सकता लेकिन संयम काल में साधना का मार्ग खुला होने से हम अपने कर्मो की निर्झरा कर मोक्ष मार्ग की ओर बढ़ सकते है। मोक्ष का अर्थ जन्म और मरण से मुक्ति पाना है क्योंकि ये दोनों दुख के कारण है। इनसे छुटकारा पाना ही मोक्ष कहलाता है। दीक्षा महोत्सव को संबोधित करते हुए दीक्षार्थी भागचन्द सिंहल, राजेन्द्र मारवाड़ा व सुमित्रादेवी सिंहल ने कहा कि आज का दिन उसके जीवन का सबसे स्वर्णिम व भाग्यशाली दिन है, आज वो संघ के प्रमुख आचार्य के सानिध्य में संयम पथ अंगीकार करते हुए जैनेश्वरी दीक्षा ग्रहण कर रहे है। उन्होंने कहा कि संसार छलावा मात्र है। दीक्षा का विधान मांगीलाल लोलावत उदयपुर के निर्देशन में सम्पन्न हुआ। महुआ के संगीतकार अनिल जैन ने भजन प्रस्तुत किए। दीक्षा महोत्सव की शुरूआत में दीक्षार्थियों का केशलोच किया गया। केशलोच के पश्चात मंगल स्नान कर दीक्षार्थियों ने भगवान शांतिनाथ का पंचामृत अभिषेक किया। बाद में दीक्षार्थियों ने आचार्य वैराग्यनंदी के समक्ष श्रीफल समर्पित कर जैनेश्वरी दीक्षा प्रदान करने का अनुरोध किया। महोत्सव में केकड़ी सहित आसपास से आए हजारों महिला-पुरूष श्रद्धालु मौजूद थे।
-पीयूष राठी