बकरी पालन बना आजीविका का बेहतर विकल्प

DSCN8304 [1024x768]राजस्थान महिला कल्याण मण्डल संस्था द्वारा जमषेद जी टाटा ट्रस्ट मुम्बई के आर्थिक व द गोट ट्रस्ट लखनऊ के तकनीकी सहयोग से संचालित बकरी आधारित आजीविका संवर्धन परियोजना के अन्तर्गत खण्ड स्तरीय कार्यषाला का आयोजन किया गया।
परियोजना निदेषक राकेष कुमार कौषिक के अनुसार कार्यक्रम में स्वयं सेवी संस्थाओं के प्रतिनिधि एवं परियोजना के अन्तर्गत बेहतर बकरी पालन करने वाले बकरी पालकों सहित 100 से अधिक लोगों ने भाग लिया। कार्यषाला में परियोजना के अन्तर्गत दो वर्ष में किए गए कार्यों व गतिविधियों के अनुभवों, चुनौतियों, सीखों व उपलब्धियों कों प्रस्तुतिकरण व वार्ता के माध्यम से साझा किया गया।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में अतिरिक्त जिला कलेक्टर श्री गजेन्द्र सिंह राठौड़ बकरी पालकों से रूबरू हुए। श्री राठौड़ ने संस्था द्वारा प्रषिक्षित पशु सखियों के कार्य की गहनता से जानकारी ली एवं इनके कार्य को गरीब बकरी पालकों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण बताया। श्री राठौड़ ने कहा कि पशु सखियों के द्वारा गरीब बकरी पालकों की बकरी बीमार होने पर घर बैठे सस्ता व शीघ्र इलाज उपलब्ध कराया जाता है। साथ ही संस्था द्वारा किए जा रहे अन्य प्रयास नियमित टीकाकरण, डीवर्मिंग, चारा-दाना, पानी व बाड़ा व्यवस्था आदि के बेहतर प्रंबधन से बकरी बीमारी व मृत्यु का जाखिम कम हुआ है जिससे बकरी पालकों ने अधिक लाभ कमाया है और यह लोगों के लिए आजीविका का बेहतर विकल्प साबित हो रहा है।
कार्यक्रम में विषिष्ठ अतिथि के रूप में पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेषक डॉ0 जिन्दल ने विभाग की और से संचालित योजनाओं के बारे में बकरी पालकों को जानकारी दी। श्री जिन्दल ने संस्था द्वारा संचालित परियोजना में हर सम्भव सहयोग करने के लिए बताया।
संस्था की मुख्य कार्यकारी ने परियोजना पूर्व व वर्तमान बकरी पालक के तरीकों में आए बदलाव व उनसे होने वाले फायदों के बारे में महिलाओं से चर्चा करते हुए इन अनुभवों को अधिक से अधिक साझा करने का सुझाव दिया ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग बकरी पालन से लाभ ले सके।
नवां ग्राम पंचायत के सरपंच रामकरण धायल न अपने सम्बोधन में बकरी पालन को और बेहतर करने का संकल्प लेने का आह्वान किया ताकि बकरी पालन में क्षैत्र की पहचान विकसित हो और ग्रामीण अपनी आजीविका को मजबूत बना सके।
संस्था निदेषक राकेष कुमार कौषिक ने बताया कि बकरी को गरीब की गाय कहा जाता है तथा बकरी पालन में छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखते हुए कम लागत व संसाधन में अधिक लाभ लिया जा सकता है। और बकरी पालन को प्रमुख व्यवसाय के रूप में अपनाते हुए आजीविका का बेहतर विकल्प विकसित किया जा सकता है।
द गोट ट्रस्ट के डॉ0 भीष्म सिंह के द्वारा बकरी पालकों को बताया गया कि परियोजना के तहत अपनाए गए बेहतर प्रबंधन के तरीकों से अगर वास्तव में फायदा हुआ है तो उन तौर तरीकों को निरन्तर रखना चाहिए। श्री भीष्म सिंह ने बताया कि परियोजना पूर्व क्षैत्र में टीकाकरण व डी वर्मिंग का अभाव था जिसके कारण मृत्यु दर लगभग 26 प्रतिषत थी जो परिजना समाप्ति पर 2 प्रतिषत से भी कम हो गई है। साथ ही क्षैत्र की बकरियों व मेमनों को देखकर नस्ल सुधार में हुए सुधार का अन्दाजा लगाया जा सकता है। पशु सखियों के द्वारा निरन्तर कार्य करने से बकरी बीमारी दर में भी कमी आई है। श्री भीष्म सिंह ने बकरी पालकों व संस्था को द गोट ट्रस्ट से निरन्तर सहयोग प्रदान करने के बारे में बताया।
कार्यक्रम के अन्त में परियोजना निदेषक राकेष कुमार कौषिक एवं मुख्य कार्यकारी क्षमा आर. कोषिक के द्वारा बेहतर बकरी पालन करने वाले बकरी पालकों व परियोजना कार्यकर्ताओं को पुरस्कृत किया गया एवं सभी अतिथियों को संस्था स्मृति चिन्ह भेंट कर आभार व्यक्त किया।
कार्यक्रम का संचालन परियोजना समन्वयक नानूलाल प्रजापति ने किया एवं अरावली के दीलिप कुमार यादव, मंथन संस्थान के तेजाराम माली ने भी अपने विचार व्यक्त किए। संस्था के लक्ष्मण सिंह, सत्तार मोहम्मद व खुषबु सोनी ने कार्यक्रम में अपना सहयोग प्रदान किया।

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