सामूहिक विवाह आयोजन से पूर्व सक्षम अधिकारी की अनुमति अनिवार्य

priyanka jodhwatअजमेर। राजस्थान सामूहिक विवाह अनुदान नियमन, 2009 के तहत अब किसी भी  संस्था द्वारा सामूहिक विवाह आयोजन से पूर्व जिला कलक्टर अथवा सक्षम अधिकारी की अनुमति प्राप्त करना अनिवार्य किया गया है।
उपनिदेशक महिला एवं बाल विकास विभाग प्रियंका जोधावत ने बताया कि आयुुुुुक्त महिला अधिकारिता, महिला एवं बाल विकास विभाग ने एक अधिसूचना जारी कर नियमों का गठन किया है। जिसके तहत सामूहिक विवाह आयोजन से पूर्व जिला कलक्टर अथवा सक्षम अधिकारी की अनुमति प्राप्त करना अनिवार्य है। जिला कलक्टर डाॅ. आरूषी मलिक ने जिला मुख्यालय पर आयोजित होने वाले सामूहिक विवाह कार्यक्रम हेतु अतिरिक्त जिला कलक्टर (शहर) एवं उपखण्ड स्तर पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों के लिए उपजिला मजिस्ट्रेटों को सक्षम अधिकारी नियुक्त किया है। उक्त सक्षम अधिकारी अपने परिक्षेत्रा में आयोजित होने वाले सामूहिक विवाह कार्यक्रमों की अनुमति अधिसूचना में विहित प्रावधानों के अनुसार संबंधित संस्था द्वारा किए गए आवेदन की जांच के पश्चात् देंगे।
उन्होंने बताया कि नियमों के तहत कोई भी संस्था जो नियमित रूप से सामूहिक विवाह का आयोजन करती है जिला कलक्टर कार्यालय में स्थाई रूप से पंजीयन करा सकेगी। इस प्रकार कोई भी अधिकृत संस्था जब भी सामूहिक विवाह का आयोजन करेगी तो वह अनुमति हेतु प्रपत्रा-4 के अन्तर्गत संबंधित सक्षम अधिकारी को प्रस्तावित सामूहिक विवाह आयोजन की तिथि से कम से कम 15 दिवस पूर्व आवेदन करेगी। यदि कोई संस्था अधिकृत आवेदन प्रस्तुत की श्रेणी में नही है तो वह प्रपत्रा-5 में सक्षम अधिकारी के समक्ष आवेदन प्रस्तुत करेगी। आवेदन पत्रा की उपयुक्त जांच और संतुष्टि के पश्चात् सक्षम अधिकारी सामूहिक विवाह आयोजन की अनुमति प्रपत्रा-6 में प्रदान करेंगे। सामूहिक विवाह आयोजन के दौरान जिला कलक्टर अथवा सक्षम अधिकारी आवश्यक समझे तो अपना प्रतिनिधि भेज आयोजन की रिपोर्ट ले सकेंगे।
श्रीमती जोधावत ने बताया कि यदि कोई संस्था जिला कलक्टर अथवा सक्षम अधिकारी की अनुमति के बिना सामूहिक विवाह करेगी या नियम-निर्देशों के पालना में असफल रहेगी तो संस्था के विरूद्ध कम से कम एक हजार एवं अधिकतम पांच हजार रूपए की शास्ति का निरूपण, पंजीकरण का निरस्तीकरण एवं सामूहिक विवाह आयोजन हेतु निर्योग्य घोषित किया जा सकेगा। नियमों के अन्तर्गत कार्यवाही से पूर्व संस्था को सुनवाई का अवसर दिया जाएगा।
उन्होंने बताया कि राजस्थान विवाहों का अनवार्य रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 2009 (2009 के अधिनियम संख्याक 16) के अन्तर्गत पंजीकृत संस्थाएं सामूहिक विवाह के तहत नियमों के तहत अनुदान प्राप्त कर सकेगी।  जिसके तहत 12 हजार 500  रूपए प्रति जोड़ा अनुदान अथवा राज्य सरकार द्वारा तत्समय निर्धारित अनुदान राशि के आधार पर देय होगा।  जिसमें से 2 हजार 500 रूपए प्रति जोड़ा अनुदानित राशि संस्था को विवाह आयोजन के रूप में देय होगी। वहीं  10 हजार रूपए प्रति जोड़े के  अनुसार नवविवाहित वधू के नाम से डाकघर या अधिसूचित राष्ट्रीयकृत बैंक में न्यूनतम 3 वर्ष की अवधि के लिए सावधि अथवा जैसा राज्य सरकार द्वारा विर्निदिष्ट हो जमा कराई जाएगी। किसी भी संस्था को एक सामूहिक विवाह कार्यक्रम के लिए अधिकतम 500 जोड़ों को सम्मिलित करने पर अनुदान स्वीकृत किया जा सकेगा।
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