संत रामप्रसाद महाराज ने बताया सेवा का सूत्र

DSC_0092_DSC0399-सुमित सारस्वत- ब्यावर। अंतरराष्ट्रीय रामस्नेही संप्रदाय के संत रामप्रसाद महाराज ने कहा कि माता-पिता धरती पर साक्षात् भगवान का रूप है। मनुष्य मंदिर में जाकर भगवान की पूजा तो करता है मगर घर में परमात्मा के समान माता-पिता का अनादर करता है। मंदिर में जाकर भगवान की पूजा से पूर्व यदि सच्चे मन से माता-पिता की सेवा कर ली जाए तो मनुष्य का जीवन आनंदमय हो जाएगा। संत ने यह बात बोहरा गार्डन में बीएम अग्रवाल परिवार की ओर से श्री शिव महापुराण कथा के पांचवें दिन कही।
कथावाचक ने कहा कि माता-पिता की सेवा प्रभु सेवा के समान है। अनुचित-उचित की चिंता किए बिना जो व्यक्ति माता-पिता की आज्ञा का पालन करता है वह स्वर्ग को प्राप्त करता है। पिता की आज्ञा का पालन करने वाले राम को भगवान कहा जाता है। महाराज ने चिंता जताई कि एक माता-पिता अपने चार बेटों का पालन कर बड़ा करते हैं जबकि उन्हीं माता-पिता के बुजुर्ग हो जाने पर संतानें उनका तिरष्कार करती है। माता-पिता की सेवा नहीं करने वाला राक्षस के समान है।
कथावाचक ने भगवान गणेश व कार्तिकेय का जन्म प्रसंग सुनाते हुए कहा कि भगवान शिव पापनाशक हैं। शिव पूजा से पापों का नाश होता है। कथा में पुरूषोत्तम अग्रवाल ने भगवान शिव व सविता अग्रवाल ने माता पार्वती का रूप धरा। ‘भोलेनाथ सा निराला कोई और नहीं.., भोले का शृंगार सुहाना लगता है…’ जैसे भजनों पर हर श्रोता झूम उठा। मंच संचालन सुमित सारस्वत ने किया। कथा से पूर्व मुकेश अग्रवाल, कैलाश अग्रवाल, राजेश हेड़ा, हंसा जोशी, श्याम अंगारा, प्रदीप गर्ग, सत्यनारायण शर्मा, प्रदीप गर्ग, अजय शर्मा, कैलाश झालानी, प्रेमपाल पांडे, शिवांशु अग्रवाल, शिवाली अग्रवाल, सेमल अग्रवाल ने महाराजश्री का स्वागत कर आशीर्वाद लिया। कथा में संत गोपालराम रामस्नेही, संजय अग्रवाल, अविनाश गर्ग, श्वेता जैन, प्रियंका सेन, ट्विंकल गर्ग, संगीता द्विवेदी, अंजू गर्ग, लविना सेन, ममता पाखरोट, महेश गर्ग, मोहित कांठेड़, मनीष जांगड़ा, ओमप्रकाश दगदी, कैलाश जालानी सहित सैंकड़ों श्रद्धालुओं ने धर्मलाभ लिया। रविवार को कथा में भगवान शिव की लीलाओं का प्रसंग व मंचन किया जाएगा।

समाज के पहरेदार हैं पत्रकार
संत ने लोकतंत्र में मीडिया की भूमिका को खास बताया। उन्होंने कहा कि समाज के पहरेदार के रूप में पत्रकार खतरों के बीच पुण्य का कार्य कर रहे हैं। पत्रकार की लेखनी समाज में बदलाव लाती है। महाराज ने मीडिया को प्रजातंत्र की सरकार बताया। उन्होंने कहा कि अनैतिक कार्यों व सत्ता पर अंकुश लगाने का काम पत्रकार ही कर सकते हैं। पत्रकार सत्य, निष्ठा व ईमानदारी रखकर कत्र्तव्य निभाएं। सैनिक, शिक्षक, संत व पत्रकार समाज के चार स्तंभ है।

सत्य के मार्ग पर चलें
संत ने श्रोताओं को सत्य के मार्ग पर चलने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि सत्य ही सच्चा तप है। सत्य सृष्टि का पालन करता है। सत्य का साथ कभी नहीं छोड़ें। सत्य का पालन करना प्रत्येक मनुष्य का धर्म है। उन्होंने कहा कि आज सनातन संस्कृति पर खतरा मंडरा रहा है। भौतिकता के वशीभूत वैदिक धर्म को भुलाया जा रहा है। हम वैदिक धर्म को अपनाकर रखें।

तिजोरी को पहरेदारों से खतरा
संत ने सामाजिक व्यवस्था पर कटाक्ष करते हुए कहा कि तिजोरी को चोरों से नहीं, पहरेदारों से खतरा है, देश को दुश्मनों से नहीं, गद्दारों से खतरा है..। उन्होंने कहा कि आज धर्म को खतरा नास्तिकों से नहीं, धर्म के ठेकेदारों से ज्यादा है। अंतरमन की आवाज जात-पात, ऊंच-नीच किसी भी चीज को नहीं देखती है। जीवन में धर्म का सबसे महत्वपूर्ण स्थान है। इसके बिना जीवन व्यर्थ है।

जहां दर्शन, वहां प्रदर्शन नहीं
कथावाचक ने एक चिकित्सक व सुंदर महिला का व्यंग्य सुनाते हुए संदेश दिया कि मनुष्य दिखावे पर नहीं जाए। प्रदर्शन में दर्शन नहीं होता और जहां दर्शन है वहां प्रदर्शन नहीं होता। धर्म में आडम्बर न करें। ईश्वर की भक्ति सच्चे मन से निष्काम होनी चाहिए।

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