विष्व नाट्य दिवस मनाया

kala ankurकला अंकुर संस्थान में रंगमंडल के सदस्यों ने विष्व रंगमंच के अवसर पर नाट्यकर्म और उसकी उपयोगिता विषय पर चर्चा की। विषय का प्रतिपादन करते हुए निर्देषक श्याम माथुर ने बताया कि किस प्रकार नाट्यकर्म की विविध गतिविधियां व्यक्तित्व विकास में सहयोगी होती हैं। उन्होंने कहा कि आज के समय में सभी कम्पनियां व उद्योग जगत के चयनकर्ता अभ्यर्थियों में सबसे पहले अभिव्यक्ति की क्षमता की अपेक्षा रखते हैं और इस क्षमता के विकास के लिए रंगकर्म का प्रषिक्षण व अनुभव सबसे उपयुक्त होता है। चर्चा में प्रषासक रवि शर्मा के अतिरिक्त ऋषभ हर्षवाल, रोहित उपाध्याय, मोहित चंदावत, रोहित कुंपावत, मोहित खंडेलवाल, भामिनी, गुंजन, प्रियंका, लता शर्मा, बरखा, प्रीति, तस्नीम, निखिल, आाकाष आदि सभी सदस्यों ने भाग लिया और नगर में सतत रंगकर्म करने के रंगमंडल के निर्णय को दोहराया।

इस अवसर पर 30 मार्च पर होने वाले राजस्थान दिवस कार्यक्रम के लिए स्मार्ट्र सिटी पर नाटिका का पूर्वाभ्यास भी जारी रहा तथा इस नाटक के माध्यम से कला अंकुर, अजमेर के स्थापना दिवस पर इसकी ष्षान में एक गीत बनाकर नगरवासियों को समर्पित कर रहा है। कला अंकुर अकादमी के विद्यार्थियों द्वारा गाये हुए इस गीत को अकादमी के प्राचार्य ष्याम माथुर ने लिखा और संगीतबद्ध किया है जिसकी ऑडियो सी डी षीघ्र ही उपलब्ध होगी। गीत इस प्रकार है-
अजमेर-गान
ब्रह्मा के मंदिर चिष्ती की दरगाह वाला
अरावली के बीच बसा एक नगर निराला
ये अपना अजमेर ! अपना ये अजमेर !

चौहानों के और मराठों, मुग़लों के भी
मन भायी यह स्वर्ग-सुता सी पावन धरती

फिर अंग्रेज़ों ने भी यहाँ जमाकर आसन
किया समूचे राजपूताना पर था षासन

बसे यहाँ पर लोग सभी प्रान्तों से आकर
जाति, धर्म और भाषा के सब भेद भुलाकर

ईद, बड़ा दिन, गुरू परब हो या दीवाली
सभी मनाते पूजा, पोंगल, गरबा, लोहड़ी

कौषल और विज्ञान मिला सब करते उद्यम
षिक्षा, संस्कृति और कला का अद्भुत संगम
ये अपना अजमेर ! अपना ये अजमेर !

अपने इस अजमेर षहर से प्यार करें हम
मिलजुल कर अपने घर का सिंगार करें हम
मेहनत से अपनी बगिया गुलज़ार करें हम
अपने इस अजमेर षहर पर नाज़ करें हम
अपने इस अजमेर षहर पर नाज़ करें हम

विनीता चौहान
महासचिव

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