अजमेर 25 अप्रेल। सूफी संत हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती के 22 वे वंशज ओर दरगाह के सज्जादनशीन एवं मुस्लिम धर्म प्रमुख दरगाह दीवान सैय्यद जैनुल आबेदीन अली खान ने कहा कि वैष्विक स्तर पर इस्लामिक देषों को देश एवं भारतीय मुसलमानों से शान्ति और सोहार्द से जिन्दगी गुजारने का हुनर सिखना चाहिये उन्होने दुनियाभर के मुस्लिम देषों में व्याप्त वर्गीय हिंसा पर गम्भीर चिंता जताते हुऐ भारत के मुसलमानों द्वारा अमन पसंद जिन्दगी जीने के तरिके को अपनाने का संदेष दिया।
दरगाह दीवान ने ख्वाजा साहब के 803 वें उर्स के समापन की पूर्व संध्या पर दरगाह स्थित खानकाह शरीफ में आयोजित कदीमी महफिल के बाद देष प्रमुख चिष्तिया दरगाहों के सज्जादगान व धर्म प्रमुखों की मौजूदगी में कहा कि जिस तरह भारत का मुसलमान वर्गीय मतभेदों को भुला कर अमन और सुकून से जीन्दगी बसर कर रहा वह दुनिया भर के लोगों के लिये उदाहरण है क्योकि देष के समस्त इस्लामिक संम्प्रदाय जैसे गैर मुस्लिमों के साथ षिया, और सुन्नी तब्लीगी जमाअत और बरेलवी और इनके उपवर्ग आदी आपसी भाईचारे और सोहार्द के साथ रहते हैं।
उन्होने कहा कि इसके बिलकुल विपरित पाकिस्तान, अफगानिस्तान, सीरीया, इराक, अरब देषों सहित बंगलादेष और दुसरे मुस्लिम देषों में षिया और सुन्नी मुसलमान पारस्परिक हिंसा पर उतारू हैं जबकी दुनिया के दुसरे सबसे बड़े मुस्लिम जनसंख्या का प्रतिनिधत्व करने वाले भारत में ऐसा कोई वर्गीय संघर्ष नहीं है। उनका कहना था कि इन इस्लामी देषों में आपसी नफरत का भाव इस हद तक पहुच चुका है कि सूफी धर्म स्थलों मस्जिदों और बेगुनाह लोगों को हिंसा का षिकार बनाया जा रहा है।
सज्जादानषीन ने धर्म प्रमुखों को सम्बोधित करते हुऐ कहा कि भारतीय मुसिलम समाज में पारस्परिक शांन्ति एवं सोहार्द का मूल कारण भारतीय संविधान है जो हमें स्वतंत्रता के साथ जीने के सभी अधिकार प्रदान करता है यही वजह है कि भारत का मुसलमान संविधान में प्रदत अधिकारों के कारण देष में अपने धार्मिक पर्व जैसे ईद, ईदुल-अजहा ईद मिलादुन्नबी और पैग़म्बर मोहम्मद साहब के नवासे हजरत ईमाम हुसैन की शहादत मोहर्रम षिया और सुन्नी अपने तरिकों से पूरी आजादी से मना रहे है जिसकी मिसाल अन्य किसी भी मुस्लिम देष में देखने को नहीं मिलती है समुचे विष्व में केवल भारत ही है जहां सभी धर्मों एवं सम्प्रदायों के धर्मावलम्बि एक साथ एक जुटता से रहते है।
दरगाह दीवान ने कहा कि इसके बिलकुल विपरित पाकिस्तान, इराक, अफगानिस्तान जैसे देषों में इन उत्सवो के मौकों पर षिया सुन्नीयों में खूनी संघर्ष होना आम बात है। मोहर्रम के अवसर पर हर वर्ष सैकड़ो मुसलमान इन देषों इस वर्गीय हिंसा में मारे जाते है। लैकिन भारत ही एक मात्र ऐसे देष है जहां षिया और सुन्नी पिछले 800 सालों से एक साथ आपसी भईचारे के साथ रह रहे है।
इस पारंपरिक आयोजन में देष प्रमुख चिष्तिया दरगाहों के सज्जादगान व धर्म प्रमुखों में शाह हसनी मियां नियाजी बरेली शरीफ, मोहम्मद शब्बीरूल हसन गुलबर्गा शरीफ कर्नाटक, अहमद निजामी दिल्ली, सैयद तुराब अली हलकट्टा शरीफ आध्र प्रदेष, सैयद जियाउद्दीन अमेटा शरीफ गुजरात, बादषाह मियां जियाई जयपुर, सैयद बदरूद्दीन दरबारे बारिया चटगांव बंगलादेष, सहित भागलपुर बिहार, फुलवारी शरीफ यु.पी., गंगोह शरीफ उत्तरांचल प्रदेष गुलबर्गा शरीफ में स्थित ख्वाजा बंदा नवाज गेसू दराज की दरगाह के नायब सज्जादानशीन सैयद यद्दुलाह हसैनी सहित देशभर के सज्जादगान मौजूद थे