घरेलू हिंसा के मामले में पति की याचिका पर पत्नी को नोटिस

अजमेर की अदालत में पेश हुआ अनोखा वाद
Coartवर्ष 2005 में बने घरेलू हिंसा कानून के मामले में अब तक महिलाओं को पीडि़त मानते हुए पुरुषों के खिलाफ कार्यवाही होती रही है, लेकिन अजमेर के अपर मुख्य न्यायिक मजिस्टे्रेट संख्या 2 संजय गुप्ता ने इसी कानून में पति को घरेलू हिंसा का पीडि़त मानते हुए उसकी पत्नी को नोटिस जारी किया है।
जिले के नसीराबाद शहर के काली बाई के मौहल्ले में रहने वाले सत्यदेव मेहरा के 33 वर्षीय पुत्र प्रवीण ने अपने वकील प्रीतम सिंह सोनी और जीनेश सोनी के माध्यम से अदालत में एक वाद दायर किया है। चूंकि यह वाद घरेलू हिंसा अधिनियम में दिया गया था, इसलिए पहले तो मजिस्ट्रेट संजय गुप्ता ने स्वीकार करने से इंकार कर दिया लेकिन जब वकीलों ने तर्कपूर्ण तरीके से यह बताया कि यह अधिनियम पीडि़त पुरुष पर भी लागू होता है तो मजिस्ट्रेट गुप्ता ने कानून का अध्यन करने के बाद पीडि़त पति प्रवीण मेहरा की पत्नी खुशबू को नोटिस जारी कर दिया। अब इस मामले में 12 जनवरी को सुनवाई होगी।
वाद में बताया गया कि 12 मई 2013 को प्रवीण का विवाह अजमेर के छोटी नागफणी निवासी बद्री विशाल की पुत्री खुशबु के साथ हुआ था। विवाह दोनों पक्षों की रजामंदी से हुआ लेकिन विवाह के बाद खुशबू सुसराल वालों की आर्थिक तंगी का हवाला देकर नाराज रहने लगी। खुशबू को इस बात पर भी नाराजगी थी कि उसका पति प्रवीण एक केन्टीन में काम करता है और घर में सास-ससुर के अलावा दो भाई व एक बहन भी रहती है। खुशबू का बार-बार यह कहना रहा कि प्रवीण और उसका परिवार कंगाल है। पिछले डेढ़ वर्ष से खुशबू अजमेर में अपने माता-पिता के पास ही रह रही है। इस बीच खुशबू ने कई मुकदमे पति और ससुराल वालों पर कर दिए है। खुशबू जब गर्भवती हुई तब भी उसने व्यवहार अच्छा नहीं किया। पुत्र के जन्म पर जब प्रवीण खिलौने लेकर ससुराल गया तो खुशबू ने खिलौने सड़क पर फेंक दिए। इतना ही नहीं न्यायालय के आदेश से पुत्र को भी अपने संरक्षण में ले रखा है। ऐसे में प्रवीण अपने पुत्र से भी वंचित है।
अनोखा वाद
न्यायिक जगत में प्रवीण के वाद को अनोखा बताया जा रहा है। अब तक इस कानून में सिर्फ महिला पक्ष को ही पीडि़त माना गया है लेकिन संभवत: यह पहला अवसर है जब घरेलू हिंसा कानून में किसी पति को पीडि़त मानते हुए न्यायालय ने पत्नी को नोटिस जारी किया है।
(एस.पी. मित्तल)
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