विश्व की सर्वाधिक वैज्ञानिक काल गणना से निर्मित पंचांग हमारी थाति है

सनातन धर्म की रक्षा के लिए वरूणावतार झूलेलालजी नवसंवत्सर के दिन अवतरित हुए
चेटीचण्ड महापर्व का तीसरा दिन संगोष्ठी का आयोजन

0000000अजमेर 21 मार्च। पूज्य झूलेलाल जयन्ती समारोह समिति के संयोजन में चेटीचण्ड महापर्व के तीसरे दिन सिन्धी समाज महासमिति के तत्वावधान में चेटीचंड व नवसंवत्सर विषय पर स्वामी कॉम्पलैक्स में आयोजित की गई।
जानकारी देते हुये ईसर भम्भानी ने बताया कि गोष्ठी के मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभाग सम्पर्क प्रमुख निरंजन शर्मा ने कहा कि जग्तपिता ब्रहमा ने चेत्रशुक्ला एकम (वर्ष प्रतिपदा) के दिन श्रृष्टि की स्थापना की और भक्ति व शक्ति के लिये आज ही के दिन मां दुर्गा का आव्हान किया गया था। ईष्टदेव झूलेलाल व नवसंवत्सर विक्रमादित्य के समय से हमारी पहचान है।जग् मर्यादा पुरूषोत्तम प्रभु श्रीराम के लंका विजय के बाद अयोध्या आने के पश्चात् यही मंगल दिन उनके राज्याभिषेक के लिए चुना गया।सनातन धर्म की रक्षा के लिए वरूणावतार झूलेलालजी आज ही के दिन अवतरित हुए।समाज को श्रेष्ठ (आर्य) मार्ग पर ले जाने हेतु स्वामी दयानन्द सरस्वती ने इसी दिन को आर्य समाज स्थान दिवस के रूप में चुना।सामाजिक समरसता के अग्रदूत डॉ. भीमराव अम्बेडकर का जन्म भी आज ही के दिन हुआ।
भारतीय काल गणना अत्यन्त वैज्ञानिक सटीक तथा प्रकृति व खगोल की घटनाओं के अनुरूप है। इसीलिए हमारे दैनिक व्यवहार, व्रत-त्यौहार, विवाह आदि शुभ कार्य यहाँ तक कि शोक प्रसंग भी पंचांग के अनुसार होते हैं, दिनांक के अनुसार नहीं। भारत में ग्रह-नक्षत्रों व सौर मण्डल की परिघटनाओं का अध्ययन करने के लिए सौर वर्ष है। प्राचीन गणनाओं को छोड़ भी दिया जाय और केवल कलियुग की गणना को ही देखें तो भारतीय खगोल शास्त्रियों की विलक्षण प्रतिभा के दर्शन होते हैं। इस वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को कलियुग के 5118 वर्ष पूर्व होकर 5119 वाँ वर्ष प्रारम्भ होगा। जिस मास की पूर्णिमा को जो नक्षत्र पड़ता है, उसी के आधार पर भारतीय मासों के नाम होते हैं – चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, आश्विन, कार्तिक, मार्गशीर्ष, पौष, माघ, फाल्गुन – ये सभी नाम नक्षत्रों के आधार पर ही हैं। इस प्रकार विश्व की सर्वाधिक वैज्ञानिक काल गणना से निर्मित पंचांग हमारी थाति है, इसके गौरव का स्मरण व पुनर्स्थापन के संकल्प का दिन नव सम्वत्सर है। स्वागत भाषण अध्यक्ष कवंलप्रकाश किशनानी व आभार ईसर भम्भानी ने किया। मंच का संचालन सचिव हरि चंदनाणी ने किया। कार्यक्रम में भारत माता, ईष्टदेव झूलेलाल के चित्रों पर माल्यार्पण व दीप प्रज्जवलन किया गया। देवीदास दीवाना, गोविन्द मनवानी ने देश भक्ति गीत प्रस्तुत किये।
समारोह में समन्वय समिति के भगवान कलवाणी, महेन्द्र कुमार तीर्थाणी, जगदीश अबिचंदाणी, राधाकिशन आहूजा, जी.डी. वृदांणी, रमेश टिलवाणी, नवलराय बच्चाणी, खेमचन्द नारवाणी, महेश मुलचन्दानी गोविन्द जैनाणी, रामगीता मटाई, के.जे. ज्ञानी, गोप मीरानी, कमल शहनशाह, जोधा टेकवानी, लाल नाथानी, दिशा किशनानी, तुलसी सोनी, नारायणदास सोनी, गोपालदास मुखी, मोहन चेलाणी, दौलत लौंगाणी, पुष्पा साधवानी, हरीश खेमानी, मोहन साझनानी, प्रकाश जेठरा, देवीदास, किशोर टेकवानी, वासुदेव कुन्दनानी, नारी बागानी, खुशीराम ईसरानी सहित अलग अलग संस्थाओं के सेवाधारी उपस्थित थे।

निःशुल्क चिकित्सा शिविर व दीपदान महाआरती का आयोजन बुधवार को

22 मार्च को प्रातः 10 बजे से निःशुल्क चिकित्सा शिविर ईश्वर मनोहर उदासीन आश्रम में आयोजित किया जाएगा, जिसके संयोजक गौतम सांई रहेंगे। शिविर में चिकित्सा अधिकारी (मेडीसिन) डॉ. हेमन्त अरोडा, शिशु रोड विशेषज्ञ डॉ. सुधीर माहेश्वरी, महिला विशेषज्ञ डॉ. भारती लाल सहित चिकित्सा स्टाफ अपनी सेवायें देगें।
सांय 6 बजे से महाराजा दाहरसेन स्मारक पर दीपदान व महाआरती का आयोजन किया गया है। संयोजक महेश सावलाणी ने बताया कि चेटीचण्ड महोत्सव पखवाडा में शहीद हेमू कालाणी जयंती की पूर्व संध्या पर सांस्कृतिक व देशभक्ति कार्यक्रम होगा। इसी दिन वीर क्रांतिकारी शहीद भगत सिंह, राजगुरू, सुखदेव के शहीद दिवस पर श्रृद्धांजलि एवं संत स्वामी लीलाशाह की जयंती होने के कारण उनको भी याद किया जायेगा।

कंवल प्रकाश किशनानी
मो. 9829070059

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