विश्व रंगमंच दिवस की पूर्व वेला पर हुआ आयोजन
अजमेर/आंतेड़ कच्ची बस्ती के चार साल के नन्हे बच्चों से लेकर 15 वर्ष के किशोर वय के 52 बच्चों ने जब केवल पांच मिनिट के अभ्यास से लघु नाटकों की प्रस्तुतियां दीं तो बस्ती की चौपाल संवादों से गूंज गयी। अवसर था कला व साहित्य के प्रति समर्पित संस्था ‘नाट्यवृंद‘ द्वारा विश्व रंगमंच दिवस व संस्था के 31 वें स्थापना दिवस के अवसर पर रविवार 26 मार्च को प्रसिद्ध रंगकर्मी उमेश कुमार चौरसिया के निर्देशन में आयोजित ‘नाट्य चौपाल‘ का। बस्ती के अधिकांश बच्चों ने विविध थियेटर खेलों के माध्यम से पहली बार नाट्यविधा को इस सरल अंदाज में समझते हुए मस्ती की पाठशाला, झोला छाप डॉक्टर, बीबी से परेशान, चिल्लड़ों की पढ़ाई और पागल पेशेन्ट्स जैसी रोचक नाटिकाएं प्रस्तुत कीं और देशभक्ति के गीत भी गाए।
मुख्य अतिथि मदस विश्वविद्यालय के शिक्षा विभाग के डीन प्रो नगेन्द्र सिंह ने कहा कि शहरी सुविधाओं से दूर रहने वाले इन बच्चों को नाटक के माध्यम से परस्पर सहयोग आदि के जीवन मूल्यों की शिक्षा सहल रूप से दी जा सकती है। विशिष्ट अतिथि नगर निगम की उपायुक्त ज्योति ककवानी ने निल बटा सन्नाटा की कहानी के द्वारा यह बताया कि काम वाली बाई या मजदूरी करने वालों के बच्चे भी कलक्टर जैसे बड़े पद प्राप्त कर सकते हैं। इसमें लगन, मेहनत और शिक्षा के साथ-साथ नाटक जैसी कलाविधाओं का भी महत्वपूर्ण योगदान होता है। विशेषज्ञ प्रो आयुष्मान गोस्वामी ने कौवे की रोचक कथा को नाटकीय अंदाज में सुनाते हुए जीवन से बुरी आदतों को दूर करने का संदेश दिया। डॉ पूनम पाण्डे ने लकड़ी की काठी गीत को बच्चों के साथ गाया। इंजीनियर संदीप पाण्डे ने अल्पाहार व पुरस्कार बांटे। सेवा भारती के सहयोग से हुए इस कार्यक्रम में संयोजक रामचरण गुप्ता, अंकित शांडिल्य, सोनू राजपूत, सह संयोजक दिनेश खण्डेलवाल, इमरान खान, निर्मल सहवाल और लखन चौरसिया, भवानी कुशवाहा, युवराज वाही ने सहयोग किया।
अंकित शांडिल्य
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