अजमेर 26 मई। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि केंद्र में सत्तारूढ़ नरेंद्र मोदी सरकार पिछले तीन सालों में हर मोर्चे पर बुरी तरह से असफल नजर आई है। भारतीय जनता पार्टी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में जारी अपने घोषणा पत्र को अपना संकल्प पत्र बताते हुए वादा किया था कि सत्ता में आने पर वह अपने इस संकल्प पत्र पर अमल के जरिए देश की तकदीर और तस्वीर बदल देगी लैकिन हकीकत में सभी वायदे झूठे साबित हो चुके है।
शहर जिला कांग्रेस अध्यक्ष विजय जैन ने कहा कि वादों से मुकर चुकी सरकार को सत्ता में बनें रहने का नैतिक हक़ नहीं है क्योंकि भाजपा के घोषणा पत्र में जो वायदे किए गए थे उनमें हर साल दो करोड़ युवाओं को रोजगार, किसानों को उनकी उपज का समर्थन मूल्य लागत से दोगुना, कर नीति में जनता को राहत देने वाले सुधार, विदेशों में जमा कालेधन की सौ दिनों के भीतर वापसी, भ्रष्टाचार के आरोपी सांसदों-विधायकों के मुकदमों का विशेष अदालतों के जरिए एक साल में निबटारा, महंगाई पर प्रभावी नियंत्रण, गंगा तथा अन्य नदियों की सफाई, देश के प्रमुख शहरों के बीच बुलेट ट्रेन का परिचालन, जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 का खात्मा, कश्मीरी पंडितों की घाटी में वापसी, आतंकवाद के खिलाफ जीरो टालरेंस की नीति, सुरक्षा बलों को आतंकवादी और माओवादी हिंसा से निबटने के लिए पूरी तरह छूट, सेना की कार्य स्थितियों में सुधार, समान नागरिक संहिता, गुलाबी क्रांति यानी गोकशी और मांस निर्यात पर प्रतिबंध करना आदि प्रमुख वायदे थे जिन्हे सरकार भूल चुकी है।
उन्होने कहा कि तीन साल बीत जाने के बाद नरेंद्र मोदी सरकार और भारतीय जनता पार्टी से हिसाब मांगा जाना चाहिये मन की बात तो बहुत हो गई मतलब की बात कब होगी अच्छे दिन के सपने सच कब होंगे भारतीय जनता पार्टी ने हर साल दो करोड़ नौकरी देने का वादा किया था सालाना एक लाख 35 हजार नौकरी नहीं पैदा कर पा रही है। नोटबंदी की वजह से 20 लाख नौकरियां चली गईं आज भी 35 किसान हर रोज आत्महत्या करते हैं हर नौ मिनट में एक महिला के साथ बलात्कार हो रहा है उद्योग-धंधे चैपट हो चुके हैं व्यापार की सहूलियत के लिहाज से आज भी भारत 130वें नंबर पर है ऐसे में बेहतर क्या हुआ है ? जुबान दबाने का दमन चक्र बेहतर हुआ है तरक्की और विकास लोगों की जिंदगी से गायब हो गए हैं
उन्होने कहा कि यह सरकार अच्छे दिन लाने और देश के सभी नागरिकों के बैंक खातों में 15-15 लाख रूपए जमा करने के वायदे पर सत्ता में आई थी। न तो अच्छे दिन आए और ना ही 15 लाख रूपए। उलटे, मंहगाई बेलगाम हो गई और ऊपर से सरकार ने नोटबंदी के जिन्न को बोतल से निकाल आमजनों को भारी मुसीबत में फंसा दिया। देश भर में कम से कम 100 लोग बैंकों के बाहर लाइनों में खड़े रहने के दौरान इस दुनिया से विदा हो गए। रोज खाने-कमाने वालों का भारी नुकसान हुआ। लाखों प्रवासी श्रमिक अपना रोजगार खो जाने के कारण अपने-अपने घरों को वापस लौटने पर मजबूर हो गए। इस सरकार की एक विशेषता है हर प्रकार की शक्तियों का एक व्यक्ति के हाथों में केन्द्रीयकरण। और वह व्यक्ति कौन है, इसका अंदाजा लगाना बहुत मुश्किल नहीं है।
1 thought on “मोदी सरकार पिछले तीन सालों में हर मोर्चे पर बुरी तरह से असफल”
Comments are closed.
श्री जैन साहब
वैसे तो आपने कई मुध्दों को छूआ है लेकिन कश्मीर के जो हालात अब बन गए है उस पर जरा और खुलासा करते तो ठीक रहता. बीफ को लेकर खलाक की हत्या से शुरू हुई साम्प्रदायिक वैमनस्यता बढती जा रही है. ऐसे माहौल में कश्मीरियों को हम कैसे अपने साथ रख पायेंगे. इधर नक्सल समस्या भी बढती जा रही है. यह सिर्फ कानून व्यवस्था का मसला नही है. नोट बंदी करते वक्त दोनो ही पर बडे 2 जुमले गढे गए. हां मीडिया को इन्होंने जरूर पटा लिया है. उस पर भी आपने प्रकाश नही डाला.