हमारी जिन्दगी स्वयं के हाथो में है

sudha sagarमदनगंज-किशनगढ़। मुनि सुधासागर महाराज ने आर.के. कम्यूनिटी सेंटर में गुरूवार को चातुर्मास के दौरान धर्मोपदेश देते हुए कहा कि अच्छा व बुरा भगवान, गुरू, दुश्मन, माता, पिता कोई नही बना सकता। केवल कर्म ही है जो मनुष्य को अच्छा व बुरा बनाते है। भगवान जिस दिन चाहे मै अच्छा हो जाऊंगा यह सोच मनुष्य की मिथ्या धारणा है। हमारी जिन्दगी स्वयं के हाथो में है दूसरे तो निमित मात्र है। मुनिश्री ने उदाहरण देते हुए कहा कि देव, शास्त्र व गुरू को दर्पण के समान है जो सदैव सच्चाई दिखाते है। निमित बुद्धि कभी शांति नही देती। दु:ख के समय भगवान, गुरू व माता पिता के पास जाते है तो वह उनका अपमान है। सदैव दूसरों के अधीन नही रहना चाहिए। जीवन में स्वयं के साथ कोई गलत हो रहा है उसकी जिम्मेदार स्वयं हूॅ ये मान लोगे तो जिन्दगी में खुशी व शांति आ जाएगी। जीवन में सफल होना है तो माता पिता के लिए नौकर मत लगाना स्वयं नौकर बन जाना। सच्चा बेटा वही से माता पिता के कार्य स्वयं करे। पुण्य का उदय सुख होना चाहिए। मुनिश्री ने महाभारत की व्याख्या करते हुए कहा कि जिसके विचार अच्छे है वह राम और जिसके बूरे है वह दुरियोधन है। देव, शास्त्र, गुरू व जन्म दाता तुम्हारे काम आएगे तो तुम्हारा विनाश निश्चित है और तुम उनके काम आवोगें तो जीवन सार्थक है। मुनिश्री ने जीवन को सार्थक करने के उपाय बताते हुए मंगल आशीर्वाद प्रदान किया। धर्म प्रभावना समिति के प्रचार मंत्री संजय जैन व विकास छाबडा ने बताया कि प्रात: श्रीजी का अभिषेक एवं शांतिधारा, पूजन, धर्मसभा में चित्र अनावरण, दीप प्रज्जवलन, शास्त्र भेंट, मुनिश्री के पाद प्रक्षालन का सौभाग्य धर्मचंद, कैलाशचंद, मनीषकुमार, निलेशकुमार पहाडिया को मिला। दोपहर में सामयिक, मुनि निष्कंप सागर महाराज द्वारा जिनसहस्त्रनाम स्त्रोत पाठ, मुनि सुधासागर महाराज द्वारा तत्वार्थ ोक वार्तिक एवं पद्मनन्दि पंचविशंतिका, मुनि महासागर महाराज द्वारा तत्वार्थ सूत्र तथा सायं जिज्ञासा समाधान के पश्चात क्षुल्लक धैर्य सागर महाराज द्वारा बच्चों की पाठशाला में धार्मिक ज्ञान दिया जा रहा है। आरती के पश्चात क्षुल्लक गंभीर सागर महाराज के प्रवचन हो रहे है। इस अवसर पर अनेक श्रावक-श्राविकाएं व बालक, बालिाकाएं उत्साह पूर्वक भाग ले रहे है।

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