‘युगपुरूष महात्मा के महात्मा’ ने किया दर्शकों को मंत्रमुग्ध

IMG_20170808_085559-1अजमेर, 15 जनवरी, 2018
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के आध्यात्मिक मार्गदर्शक रहे श्रीमद् राजचन्द्रजी पर रविवार की शाम को जवाहर रंगमंच पर ‘युगपुरूष महात्मा के महात्मा’ नामक नाटक का मंचन हुआ, जिसे दर्शकों की खूब दाद मिली। खचाखच भरे हॉल में दर्शक एकटक ऑंखें लगाऐ देर तक जमे रहे। नाटक के प्रस्तुतीकरण ने ना सिर्फ दर्शकों का दिल छूआ अपितु इतिहास के कई अनछुऐ पहलुओं से भी वाकिफ कराया।
नाटक का मंचन श्रीमद् राजचन्द्रजी मिशन, धरमपुर के माध्यम से करीब 30 कलाकारों की टीम ने प्रस्तुत किया। संयोजक संजय सोनी ने बताया की इस नाटक की प्रेरणा मिशन के संस्थापक पुज्य गुरूदेव राकेशजी भाई से मिली है, जिसे उत्तम गडा ने लिखा तथा राजेश जोशी ने दिग्दर्शित किया। लेख है कि इस वर्ष श्रीमद् राजचन्द्रजी की 150वीं जन्मजंयती मनाई जा रही है, जिस श्रृंखला में नाटक का भी मंचन हो रहा है।
नाट्क के माध्यम से जाहिर था कि गांधीजी को सत्य, अहिंसा जैसे आध्यात्मिक मूल्यों का मार्गदर्शन श्रीमद् राजचन्द्रजी ने ही किया। भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भी इन अहिंसक मूल्यों का काफी योगदान रहा। श्रीमद् राजचन्द्रजी ‘कविश्री’ को अवधान शक्ति हासिल थी। उन्हे मात्र सात वर्ष की आयु में जाति स्मरण का बोध हो गया था। वे एक साथ सौ कार्य कर सकते थे यानी शतावधान शक्ति के ज्ञाता थे। इसके अलावा कई भाषाऐं भी जानते थे। उनका लक्ष्य सम्पूर्ण वितरागता था और आत्मा का आवागमन से मुक्त होना था। दया धर्म को मूल में रखते हुऐ उन्होंने अहिंसा, आत्मा, नश्वर शरीर, ईश्वर, ब्रह्मचर्य, धर्म आदि कई पर गहन विचार रखे। उनका कहना था कि धर्म का जरूरी नहीं है कि मंदिर, मस्जिद, गिरजाघर में या एकादशी या किसी खास दिन ही करना है, अपितु व्यापार, घरबार व अन्य स्थानें पर भी करना जरूरी है। इन्हीं सब प्रेरणादायी मार्गदर्शन की बातों को समाहित करते हुऐ इस नाटक का प्रस्तुतिकरण हुआ, जो कि बड़ा ही हृदयस्पर्शी रहा। डांडी मार्च, नमक सत्याग्रह, जलियांवाला बाग हत्याकांड, शतावधान प्रयोग, अफ्रिका के लिए गांधीजी का जहाज से कूच करना, जेल यात्रा आदि कई ऐसे दृश्य रहे, जिन्होंने दर्शकों को हत्प्रभ कर दिया। नाटक के अब तक करीब 1047 शो हो चुके है। यह नाटक कई प्रमुख अवार्डो से भी नवाजा जा चुका है तथा लांसएंजेलिस के डेेल्वी थियेटर में भी हो चुका है, जहॉं ऑस्कर अवार्ड सेरेमनी होती है। नाटक का प्रस्तुतीकरण बड़ा ही सशक्त था।
अनिल पाटनी ने बताया कि मोहनदास कर्मचंद गॉंधी की भूमिका पुलकित सोलंकी ने निभाई। इसी प्रकार बापू की भूमिका में निलेश जोशी, श्रीमद् राजचन्द्र की भूमिका में पार्थासारथी वैद्या, कस्तूरबा गॉंधी का किरदार दर्शना कानिटकर एवं अफ्रिका की दोस्त श्रीमती पोलक का किरदार देवल मेहता, रेवा शंकरभाई का किरदार बाबुल भावसर, व अन्य किरदारों में प्रकाश वाघेला, सचिन रावल, प्रशांत सावलिया, मोहित कापड़िया, जिशनू सोनी आदि थे।
नाट्क के आरम्भ में द्वीप प्रज्वलन माहेश्वरी समाज अध्यक्ष रमाकांत बालदी, जैन श्रेष्ठी अजय दनगसिया, मेयो कॉलेज डायरेक्टर मेजर (रि.) एस.जनरल कुलकर्णी, तिलोकचंद सोनी, शहर कांग्रेस अध्यक्ष विजय जैन, राजेश सोनी, मेजर मारफतिया आदि ने किया। कार्यक्रम में उपायुक्त ज्योति ककवानी, पूर्व नगर विकास न्यास अध्यक्ष धर्मेश जैन, सोमरत्न आर्य, श्रीराम फतेहपुरिया, राजीव तोषनीवाल, प्रमोद रावंका, बसंत सेठी, पूनम पांडे, अतुल सेठी, अनिल दुधोडिया, बलवंत जैन, सुनिल पालीवाल, संदीप पांडे, सुरेश माथुर, सुनिल सेठी सहित कई गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे। कार्यक्रम में मेयो कॉलेज एवं मेयो गर्ल्स कॉलेज एवं सोफिया कॉलेज के छात्र-छात्राऐं भी उपस्थित थे, जिन्होंने नाट्क को पूरी तल्लीनता से देखा और सशक्त संवादों को जोशीले अंदाज में दाद दी।
मिशन की ओर से जयपुर से पघारे चितरंजन ने अजमेर में दूसरी बार सफल आयोजन व सपोर्ट करने के लिए स्थानीय संयोजक संजय सोनी का स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया।
कार्यक्रम को सफल बनाने में अनिल पाटनी, इंदू जैन, रूपश्री जैन, सुनिल दोषी, मनोज जैन, अनिता सोनी, सुनिल सेठी, अनिल आशीष सालगिया, सुनिता सेठी, राजेश बंसल, सुरेश जैन, मधु पाटनी, अनिल सालगिया आदि ने अहम भूमिका निभाई।

(अनिल पाटनी)
9829215242

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