खून में पोटेशियम की कमी मधुमेह का कारण- डाॅ तरुण सक्सेना

दो सौ मधुमेह रोगियों व दो सौ सामान्य व्यक्तियों पर अध्ययन से निकला तथ्य
Dr Tarun Saxenaअजमेर, 19 जनवरी ( )। खून में पोटेशियम की कमी, पेंक्रियाज ग्रंथी से इंसुलिन का स्त्राव कम करने, लीवर, मांसपेसियों व वसा के तन्तुओं में इंसुलिन की सक्रियता घटाने के लिए उत्तरदायी है। इससे मधुमेह होता हैं।
यह तथ्य मित्तल हाॅस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर अजमेर के वरिष्ठ फिजीशियन डाॅ तरुण सक्सेना द्वारा मधुमेह पीड़ित दो सौ रोगियों एवं मधुमेह रहित दो सौ सामान्य व्यक्तियों पर किए गए अध्ययन से सामने आया है। यह शोध अध्ययन अन्तरराष्ट्रीय जनरल आॅफ डायबीटिज और इट्स काम्प्लीकेशन (अमेरिका) में हाल ही में प्रकाशित भी हुआ है।
डाॅ तरुण सक्सेना ने बताया कि मधुमेह टाइप -2 को उत्पन्न करने वाले कारकों के संबंध में चिकित्सा विज्ञान अस्पष्ट है। शोध में यह पता चला है कि इंसुलिन की कार्यप्रणाली घटने में पोटेशियम की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। उन्होंने बताया कि जुलाई 2016 से जुलाई 2017 के मध्य मित्तल हाॅस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर अजमेर में 200 मधुमेह रोगियों और 200 मधुमेह रहित चयनित सामान्य व्यक्तियों पर अध्ययन किया गया। इन लोगों के आहार और तनाव के विस्तृत अवलोकन से जो तथ्य प्राप्त हुए उससे पता चला कि व्यायाम की कमी, कार्बोहाइड्रेट्स व फाइबर की न्यूनता वाला आहार, मानसिक थकान और तनाव इत्यादि मधुमेह के खतरे के प्रारम्भिक कारण हैं। ऐसी स्थितियों का लगातार बना रहना किसी भी व्यक्ति में मधुमेह रोग की संभावना को बढ़ता ही है। उन्होंने बताया कि यह सब स्थितियां खून में पोटेशियम (ईसीएफ)़ एक्स्ट्रा सेलुलर, को कम करती हैं और कोशिकाओं के अन्दर का पोटेशियम ( आईसीएफ) को बढ़ाती हैं जो इन्सुलिन के स्त्राव एवं सक्रियता को कम कर देती हैं आखिर व्यक्ति को मधुमेह रोग हो जाता हैं। डाॅ तरुण ने बताया कि ऐसी स्थितियां खून में लेक्टिक एसिड की मात्रा के कम होने, पीएच के क्षारीय होने एवं सिम्पेथैटिक नाड़ी के तीव्र होने से बनती हैं जो कि सोडियम-पोटेशियम पम्प को निष्क्रिय कर देती हैं परिणामतः खून में पोटेशियम (ईसीएफ) कम हो जाता है।
रोग निदान के चिकित्सकीय सुझाव-
डाॅ तरुण सक्सेना ने बताया कि शोध से प्राप्त तथ्यों के आधार पर मधुमेह के बचाव व रोकथाम के लिए मानसिक थकान, आहार और व्यायाम जैसे रोग के प्रारंभिक कारकों को ठीक किया जाना चाहिए। निष्क्रियता, मानसिक थकान, तनाव से बचने के लिए कुछ शिथिलीकरण तकनीकों का अभ्यास किया जा सकता है। तंत्रिकातंत्र को पुनः सक्रिय करने के लिए गहरी नींद ली जाए। मानसिक कार्य और आराम के मध्य समुचित संतुलन बनाए रखें। मस्तिष्क में शांति उत्पन्न करने के लिए कुछ समय बगीचे में बिताएं। उन्होंने बताया कि अधिकाधिक लैक्टिक एसिड उत्पन्न हो इसके लिए कार्बोहाइड्रेड युक्त आहार ले और फल, नींबू पानी, छाछ का सेवन करें जो कि सीधे एसीडिक पीएच उत्पन्न करते हैं एवं इन्सुलिन के ठीक प्रकार से कार्य करने के लिए आईसीएफ पोटेशियम को ईसीएफ पोटेशियम में बदलने में सहायता करते हैं। इसके अलावा इंसुलिन संवेदनशीलता को बढ़ाने के लिए व्यायाम करें।

संतोष कुमार गुप्ता
प्रबंधक जनसम्पर्क/91160409

error: Content is protected !!