अजमेर। अपने लिए तो सब जीते हैं, दूसरों के लिए जीने वालों को दुनिया भी सलाम करती है। हजारों मील दूर से अपना घर छोड़ पुष्कर के नजदीकी गांव कानस में इन दिनों बैंग्लोर से आये ये युवा बच्चों के बीच शिक्षा का महत्व क्या है और एक दूसरे की मदद कैसे की जा सकती है, यही बता रहे हैं, लेकिन इस बात को बताने का तरीका बिल्कुुल जुदा है। ये लोग एफएसएल एंजियो संस्था से ताल्लुक रखते हैं। इस ग्रुप में बैग्लोर की विधि और हांगकांग के आईकछोंग पिछले दो हफतों से कानस गांव के आर्यवृत विद्धा मंदिर में कक्षा नर्सरी से पांच तक के बच्चों के बीच पेंटिंग और कलाकृतियां बनाकर बच्चों को शहरी जीवन शैली, कला और संस्कृति का आभास करा रहे हैं।