एयरलाइनों की मनमानी से विमानन मंत्रालय नाराज

air linesनई दिल्ली। विशिष्ट सेवाओं के लिए अधिक कीमत वसूलने की आजादी मिलते ही ज्यादा से ज्यादा सीटों को विशिष्ट श्रेणी में रखकर मनमानी कीमत वसूलने पर सरकार ने एयरलाइनों को लताड़ लगाई है। नागरिक विमानन मंत्रलय ने एयरलाइनों को चेतावनी दी है कि वे एक हफ्ते में महंगी सीटों की संख्या सीमित करें। इस मसले पर शुक्रवार को बुलाई गई बैठक में नागरिक विमानन सचिव केएन श्रीवास्तव ने एयरलाइनों से सरकार द्वारा दी गई सुविधा का नाजायज फायदा उठाने से बाज आने को कहा।

उन्होंने एयरलाइनों से कहा कि वे ऐसी सीटों की संख्या बेहद सीमित रखें, जिनकी ज्यादा कीमत वसूली जा सकती है। अभी एयरलाइनें खिड़की के पास की सभी सीटों के लिए अधिक कीमत वसूल रही हैं। इसी तरह बुजुर्ग यात्रियों के लिए टॉयलेट के नजदीक की सीटों के लिए अधिक कीमत वसूली जा रही है। कुछ एयरलाइनों ने बीच की सीटों के भी ज्यादा दाम लगाने शुरू कर दिए।

बैठक में एयरलाइनों से प्रिविलेज्ड सीटें कम करने को तो कहा गया, लेकिन इनकी कोई संख्या नहीं तय की गई है। इसका फैसला अभी एयरलाइनों पर ही छोड़ दिया गया है। उनसे अगले हफ्ते इस बारे में मंत्रालय को जानकारी देने और किरायों के मामले में पारदर्शिता बरतने को कहा गया है। पिछले दिनों एयरलाइनों को मूल किराये के अलावा विशिष्ट सेवाओं के लिए यात्रियों से अतिरिक्त शुल्क वसूलने की इजाजत सरकार ने दे दी थी। इनमें खाने-पीने के सामान, खेल व संगीत का सामान ले जाने, मनपसंद सीट चुनने, लाउंज का इस्तेमाल करने की अतिरिक्त कीमत शामिल है। इसका मकसद मूल किराये में कमी लाना था। किसी भी एयरलाइन ने मूल किराया तो नहीं घटाया, मगर अतिरिक्त शुल्क वसूलने के सारे इंतजाम कर लिए। इस छूट का फायदा उठाते हुए एयर इंडिया, इंडिगो और जेट एयरवेज ने मुफ्त बैगेज का वजन 20 किलो से घटाकर 15 किलो कर दिया। इससे ज्यादा वजन ले जाने की अतिरिक्त कीमत वसूली जा रही है। हालांकि, एयर इंडिया ने सीटों के लिए अतिरिक्त शुल्क वसूलना अभी शुरू नहीं किया है।

बैठक में विदेशी पायलटों की संख्या पूरी तरह खत्म करने की समय सीमा भी तीन साल बढ़ा दी गई है। अब एयरलाइनें 2016 तक विदेशी पायलटों को पूरी तरह अलविदा कर सकेंगी। इनकी जगह भारतीय पायलट लेंगे। विदेशी पायलटों की संख्या घटाने की मुहिम के तहत 2010 से अब तक देश में विदेशी पायलटों की संख्या 854 से घटकर 320 से भी कम रह गई है।

बैठक में एयरलाइनों ने विवादों के निपटारे के लिए एविएशन ओंबुड्समैन के गठन के विचार पर अपनी सहमति जताई। लेकिन वे चाहती हैं कि इसका कार्यक्षेत्र स्पष्ट रूप से परिभाषित होना चाहिए। छोटे शहरों के लिए एयरलाइनों के छोटे विमान हासिल करने के मसले पर भी चर्चा हुई।

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