सहायक इकाइयों के जरिये टैक्स चुरा रही एप्पलv

apple-tax-evasion-through-supporting-unitsवाशिंगटन। अमेरिका की दिग्गज टेक्नोलॉजी कंपनी एप्पल पर अमेरिकी सीनेट की एक समिति ने अरबों डॉलर की टैक्स चोरी का आरोप लगाया है। समिति का कहना है कि एप्पल सहायक कंपनियों का जाल बनाकर यह काम कर रही है। इसकी कुछ इकाइयां अरबों डॉलर कमाती हैं लेकिन किसी भी देश में टैक्स जमा नहीं करती है।

सीनेट की स्थायी उपसमिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि एप्पल की अंतहीन सहायक इकाइयों का एकमात्र मकसद मुनाफे की रकम खपाकर अमेरिका में अरबों डॉलर का टैक्स बचाना है।

एप्पल की आयरलैंड से जुड़ी एक कंपनी एप्पल ऑपरेशंस इंटरनेशनल ने वर्ष 2009 से 2012 के बीच 30 अरब डॉलर का मुनाफा कमाया, लेकिन तकनीकी रूप से यह कंपनी किसी भी देश में टैक्स अदा करने लायक पंजीकृत नहीं है, इसलिए इसने किसी सरकार को कोई टैक्स नहीं दिया। इसने पिछले पांच साल से कहीं भी कोई इनकम टैक्स रिटर्न नहीं भरा है।

रिपोर्ट के मुताबिक एक अन्य सहयोगी इकाई ने वर्ष 2011 में अपनी 22 अरब डॉलर की आय पर केवल 0.05 फीसद टैक्स भरा। समिति ने कहा कि एप्पल अमेरिका और आयरलैंड के टैक्स कानून में अंतर का फायदा उठा रही है। इसके लिए एप्पल अपनी तीन कंपनियों को किसी भी देश में करदाता न बताकर टैक्स चुरा रही है। एप्पल ने दावा किया है कि उसकी तीन प्रमुख ऑफशोर कंपनियां न तो आयरलैंड में टैक्स रेसीडेंट हैं और न ही अमेरिका में। जबकि एप्पल के एक्जिक्यूटिव ही इन कंपनियों का प्रबंधन संभालते हैं।

सीनेटर कार्ल लेविन ने कहा कि एप्पल अपने मुनाफे को किसी टैक्स हैवन या कम टैक्स वाले देश में शिफ्ट करने से संतुष्ट नहीं है। एप्पल पूरी तरह से टैक्स बंधन से मुक्त होना चाहती है। समिति ने आरोप लगाया कि एप्पल कथित लागत साझेदारी समझौते का इस्तेमाल कीमती बौद्धिक संपदाओं को अन्य देशों में स्थानांतरित करने में कर रही है, ताकि इनसे होने वाला मुनाफा टैक्स हैवन देशों के दायरे में लाया जा सके। कंपनी टैक्स कानूनों और नियमों की कमियों का फायदा उठा रही है। एप्पल आयरलैंड सरकार से वार्ता कर रही है कि उस पर दो फीसद की दर से टैक्स लगाया जाए, जबकि आयरलैंड में 12 फीसद की दर से टैक्स लगता है।

कंपनी आयरलैंड को अपनी विदेशी इकाइयों के विस्तृत नेटवर्क का केंद्र बनाने की तैयारी कर रही है। एक अन्य सीनेटर जॉन मैक्केन का कहना है कि एप्पल अमेरिका की सबसे बड़ी करदाता होने का दावा करती है लेकिन अपने आकार के लिहाज से यह देश में सबसे ज्यादा टैक्स चुराने वाली कंपनी भी है।

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