फालतू की बातें बहुत करते हैं हम

हम कई बार फालतू के सवाल करते हैं। जैसे किसी के घर गए और वह खाना खा रहा है तो यकायक हम पूछ बैठते हैं, खाना खा रहे हो। या ये ही पूछ बैठते हैं कि बैठे हो? अव्वल तो ये सवाल ही बेमानी हैं। जो दिख रहा है, उसी के बारे क्या पूछना? दिलचस्प … Read more

नमस्ते व नमस्कार में क्या अंतर है?

हाल ही मेरे मित्र जाने-माने फोटो जर्नलिस्ट सत्यनारायण जाला ने एक पोस्ट भेजी, जिसमें बताया गया है कि नमस्ते व नमस्कार पर्यायवाची नहीं हैं। इनका भिन्न अर्थ है। बाद में सोशल मीडिया पर यह पोस्ट अलग शब्दावली में भी पायी। स्वाभाविक है कि उन्होंने किसी अन्य सज्जन की ओर से भेजी गई पोस्ट को कॉपी-पेस्ट … Read more

प्रेंक वीडियो के नाम पर परोसी जा रही है अश्लीलता

इन दिनों यूट्यूब पर प्रेंक वीडियो खूब चलन में हैं। प्रेंक का मतलब होता है शरारत या मजाक। कई लड़के-लड़कियों ने इसे धंधा बना रखा है। वे इसमें विज्ञापन डाल कर कमा रहे हैं। धंधे तक तो ठीक है, मगर इनमें से कई ने इसे अश्लीलता परोसने का जरिया बना लिया है, जिसे देख कर … Read more

क्या श्रीकृष्ण-अर्जुन संवाद की रिकॉर्डिंग की जा सकती है?

विज्ञान मानता है कि कोई भी ध्वनि नष्ट नहीं होती। वह ब्रह्मांड में कहीं न कहीं विचरण करती रहती है। उसी सिद्धांत पर ही तो रेडियो का अविष्कार हुआ। कोई ध्वनि अंतरिक्ष में छोड़ी गई अर्थात ब्रॉडकास्ट की गई। फिर उसी को कैच करने की तकनीक रेडियो या ट्रांसमीटर में काम में ली गई। इसी … Read more

खुद हमने ही कर रखी है हिंदी की ‘हिंदी‘

हिंदी दिवस हर साल मनाया जाता है। इस साल भी मनाया गया। बड़ी-बड़ी बातें की गईं। मगर नतीजा वही ढ़ाक के तीन पात। हिंदी को अधिकाधिक उपयोग में लेने के नाम पर लाखों, करोड़ों रुपए के बजट स्वीकृत होते हैं, कदाचित उसका कुछ प्रभाव हुआ भी है, हिंदी का मान्यता बढ़ी है, मगर शुद्ध हिंदी … Read more

लड़कों की तुलना में लड़कियां अधिक धोखा देती हैं?

अव्वल तो दुनिया में सच्चा व नि:स्वार्थ प्यार दुर्लभ है। श्रीकृष्ण-राधा के बाद गिनाने भर के लिए हमारे पास लैला-मजनूं, शीरीं-फरहाद, रोमियो-जूलियट, सोनी-महिवाल, ढ़ोला-मरवण जैसे कुछ किस्से ही हैं। तभी तो एक फिल्मी गीत में यह पंक्ति लिखी गई है- किताबों में छपते हैं, चाहत के किस्से, हकीकत की दुनिया में चाहत नहीं है। बावजूद … Read more

क्या फ्रिज में आटे का लोया रखने पर उसे भूत खाने को आते हैं?

आजकल की व्यस्त जिंदगी में आमतौर पर गृहणियां आटे को गूंथ कर उसका लोया फ्रिज में रख देती हैं, ताकि जब खाने का वक्त हो तो उसे तुरंत निकाल कर गरम रोटी बनाई जा सके। यह आम बात है। इसको लेकर संस्कृति की दुहाई देते हुए सोशल मीडिया में यह जानकारी फैलाई रही है कि … Read more

श्रीमद्भागवत कथा में तोता क्यों रखा जाता है?

हालांकि आकाश में स्वछंद विचरण करने वाले किसी पक्षी को पिंजरे में कैद रखना उचित प्रतीत नहीं होता, लेकिन हमारे यहां तोते को पालने का प्रचलन रहा है। उसे शुभ माना जाता है। चूंकि तोते की आवाज मीठी होती है और वह राम-राम जैसे कुछ शब्द आसानी से सीख लेता है, इस कारण कुछ लोग … Read more

श्राद्ध में पूर्वज की पसंदीदा वस्तुएं क्यों अर्पित नहीं की जातीं?

क्या मृतात्मा तक भोजन पहुंचता है? हिंदू धर्म में मान्यता है कि मनुष्य की मृत्यु हो जाने पर पुनर्जन्म होता है। अर्थात एक शरीर त्यागने के बाद आत्मा दूसरा शरीर ग्रहण करती है। ऐसे में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि जब हमारे किसी पूर्वज की आत्मा मत्योपरांत कहीं और, किसी और शरीर में होती … Read more

…तो वैज्ञानिकों की पूजा क्यों नहीं होनी चाहिए?

हाल ही मेरे एक मित्र ने मेरे सामने एक ऐसा सवाल खड़ा कर दिया, जिसने मुझे सोचने को मजबूर कर दिया। उनकी बात तर्क के लिहाज से ठीक प्रतीत होती है, मगर होना क्या चाहिए, इस पर आप सुधि पाठक विचार कर सकते हैं। सवाल है कि सुखी रहने के लिए हम देवी-देवताओं की पूजा … Read more

उबासी आने पर चुटकी क्यों ली जाती है?

उबासी व जम्हाई एक सामान्य शारीरिक क्रिया है। हर किसी को आती है उबासी। उसके अपने कारण हैं, लेकिन कई लोग उबासी आने पर होंठों के आगे चुटकी बजाते हैं। संभव है, इसकी आपको भी जानकारी हो। आप भी चुटकी बजाते हों। मगर ये चुटकी क्यों ली जाती है, उसका ठीक-ठीक क्या कारण है, यह … Read more

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