देवी-देवताओं की जय क्यों बोलते हैं?

हम देवी-देवताओं, साधु-महात्माओं की जय बोलते हैं। भारत माता की भी जय भी बोलते हैं। विशिष्ट दिवंगत हस्तियों की भी जय बोलने का चलन है। आशीर्वाद के रूप में भी इस शब्द का उपयोग किया जाता है। क्या आपने कभी विचार किया है कि जय बोलने का अर्थ क्या है? वस्तुत: जय शब्द का अर्थ … Read more

मां-बहिन पर गालियां क्यों?

शीर्षक पढ़ कर आप कहेंगे ये भी कोई लेख है। ये भी कोई लिखने का विषय है। मगर मुझे लगा कि इस लगभग अछूते विषय का भी छिद्रान्वेषण करना चाहिये, क्योंकि इससे हमारी गंदी सोच का पता चलता है। आत्मावलोकन करना कोई बुरी बात नहीं। एक जमाना था, जब गुस्सा आने पर श्राप दिया जाता … Read more

पुरुष प्रधान, लेकिन स्त्री विशिष्ट

अनादि काल से पुरुष की प्रधानता के संबंध में पिछले दिनों जब एक आलेख लिखा तो एक पत्रकार साथी श्री बलवीर सिंह ने मेरा ध्यान इस ओर आकर्षित किया कि भले ही पुरुष प्रधान है, मगर महिला को प्रकृति ने अतिरिक्त शक्तियां दी हैं, जो कि पुरुष में नहीं हैं। उस लिहाज से स्त्री विशिष्ट … Read more

बच्चा बुहारी लगाए तो मेहमान आता है?

हम रोजाना घर में बुहारी लगाते हैं। संपन्न लोगों के घर में काम वाली बाई बुहारी लगाती है। यह एक सामान्य बात है। लेकिन अगर कभी कोई बच्चा खेल-खेल में बुहारी लगाए तो यह माना जाता है कि कोई मेहमान आने वाला है। तभी तो उसे कहते हैं कि क्या किसी मेहमान को बुला रहा … Read more

सोये हुए व्यक्ति के चरण स्पर्श क्यों नहीं किए जाते?

हमारे यहां मान्यता है कि सोये हुए व्यक्ति के चरण स्पर्श नहीं किए जाने चाहिए। अगर इस मान्यता से अनभिज्ञ कोई व्यक्ति सोये हुए व्यक्ति के चरण स्पर्श करता है तो उसे ऐसा करने से रोका जाता है। मान्यता तो यह तक है कि लेटे हुए व्यक्ति के भी चरण स्पर्श नहीं किए जाते। अगर … Read more

संपादक के भीतर का लेखक मर जाता है?

एक पारंगत संपादक अच्छा लेखक नहीं हो सकता। उसके भीतर मौजूद लेखक लगभग मर जाता है। यह बात तकरीबन पच्चीस साल पहले एक बार बातचीत के दौरान राजस्थान राजस्व मंडल की पत्रिका राविरा के संपादक और आधुनिक राजस्थान में रविवारीय परिशिष्ट का संपादन करने वाले श्री भालचंद व्यास ने कही थी। तब ये बात मेरी … Read more

नाम में क्या रखा है, ये सही नहीं, नाम में भी बहुत कुछ रखा है

कर्म प्रधान लोगों को आपने अमूमन यह कहते हुए देखा होगा कि नाम में क्या रखा है, काम ही महत्वपूर्ण है। जो कर्मठ है, उसकी यह सोच बिलकुल सही है। वे काम इसलिए करते हैं कि इससे उनको आत्म संतोष मिलता है, सुकून मिलता है। उन्हें इस बात की कोई फिक्र नहीं होती कि उनका … Read more

सत्यमेव जयते, मगर विलंब से क्यों?

सत्यमेव जयते। यह सूत्र सर्वविदित है। इसका अर्थ है कि सत्य की जीत होती है। चूंकि यह ऋषियों के अनुभव से निकल कर आया है, इस कारण इस पर विश्वास किया ही जाना चाहिए। लेकिन साथ ही यह भी सर्वविदित तथ्य है कि सत्य तकलीफ बहुत पाता है। जब तक उसकी जीत होती है, तब … Read more

आदमी उलट व्यवहार करे तो किन्नर, औरत करे तो झांसी की रानी?

यह कैसी उलटबांसी है कि आदमी अगर स्त्रियोचित व्यवहार करे तो उसे किन्नर करार दे कर हेय दृष्टि से देखा जाता है, जबकि कोई स्त्री पुरुषोचित व्यवहार या काम करे तो उस पर गर्व करते हुए उसे झांसी की रानी की उपाधि दे दी जाती है। आइये इस विषय में गहन डुबकी लगाने से पहले … Read more

क्या यूट्यूब न्यूज चैनल वाले फर्जी पत्रकार हैं? भाग दो

खैर, अब बात यूट्यूब न्यूज चैनल वालों की कि क्या वे फर्जी हैं? क्या वे गैर कानूनी हैंï? सरकार तो उन्हें अधिकृत पत्रकार नहीं मानती, पत्रकार संगठन भी उन्हें मान्यता देने को तैयार नहीं हैं। इन संगठनों में केवल उनको सक्रिय सदस्य बनाया जाता है, जिनके नाम से समाचार पत्र है, अथवा वे किसी दैनिक … Read more

क्या यूट्यूब न्यूज चैनल वाले पत्रकार फर्जी हैं? भाग एक

इन दिनों फर्जी पत्रकारों को लेकर बड़ी चर्चा है। पिछले आलेख में फर्जी पत्रकारिता की पराकाष्ठा पर प्रकाश डाला था, अब इसी मसले को अन्य कोणों से जानने की कोशिश करते हैं। इस आलेख को लिखने के बाद लगा कि विषय को ठीक तरह से समझने के लिए यह बहुत विस्तार पा गया है, लिहाजा … Read more

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