संस्कारों की अविरल बहती धारा…

2-राजकुमार शर्मा- एक ऐसे विशिष्ट व्यक्ति की जयन्ति जिनका जीवन अद्भूत मानवीय गुणों का अक्षय पात्र था। जिसमें कोमल हद्य पिता, सुयोग्य शिक्षक से लेकर कर्तव्यनिष्ठा, सिद्धांत प्रियता के बेमिसाल गुण थे। ऐसे उच्च संस्कारों से परिपूर्ण व्यक्तित्व के धनी थे श्रद्धेय बाबा रतनलाल जी पाटनी। बाबा की नवम् पुण्यतिथि उनके आदर्शो व नैतिक मूल्यो के पालन करने का संकल्प दोहराने का सबब है । मार्बल सिटी किशनगढ़ वासियों सहित आर. के. परिवार इस दिवस पर उन्हें श्रद्धापूर्वक याद कर उनके आदर्शो, आस्था और जज्बात का स्मरण करते है। बाबा की आस्था सभी धर्मो में रही है। उनका मानना था कि सभी धर्म इंसानी जज्बात का आदर करने की शिक्षा देते है। दीन दुखियों का दर्द समझने, उनकी सहायता के लिए सदैव तत्पर रहने, बड़ो को सम्मान देने और छोटो को स्नेह देने के लिए वे सदैव जाने जाते थे और सदा यह कहते भी रहते थे कि मोह करो मनुष्य से , सेवा करो गाय, गरीब और मां-बाप की, जीवन में आगे बढ़ोगे- बाबा कहते थे कि रूग्ती-चुग्ती नीं मरे,उघडती मर जाय। वे सहजता,सरलता और मानवीय करूणा के एक ज्वाज्वल्यमान के प्रतिमान थे। यंू तो पूजनीय बाबा की शिक्षाओं, उनके मानवीय गुणो की छाया आर. के. परिवार में सदैव सर्वत्र नजर आती है। आर. के. परिवार ही क्यों जो भी उनके बारे में जानता है वह प्रभावित हुए बिना नही रहता। उसे जीवनपथ पर सफलतापूर्वक आगे बढने के लिए एक संबल, एक प्रेरक उर्जा मिलती है। आज जब समाज में संस्कारों के पुर्नस्थापना की बात हो रही है ऐसे में उनकी पुण्यतिथि पर संस्कारों की अविरल धारा बहती नजर आती है । बाबा निराश्रितो की सेवा प्रभु सेवा से कम नही मानते थे। आर. के. मार्बल के चैयरमेन अशोक पाटनी, सुरेश पाटनी व विमल पाटनी श्रद्धेय बाबा रतनलाल पाटनी के संस्कारों, आदर्शो व विचारों से न सिर्फ पूरी तरह से प्रभावित है बल्कि उनको अमल में भी लाते है। आर. के. मार्बल परिवार को निरंतर प्रगति के पथ पर ले जाने में बाबा के विचारो, उनके द्वारा दिए गए संस्कारों और नैतिक मूल्यों की सीख ही हमेशा संबल रही है।
स्वाभिमान के प्रतीक थे स्व. बाबा
संस्कार, चरित्र निर्माण का आधार स्वाभिमान होता है जो व्यक्ति को सम्मानपूर्ण जीवन जीने के लिए प्रेरित करता है। अमूर्त और अप्रत्यक्ष प्रेरणा के स्त्रोत है बाबा साहब स्व. रतनलाल पाटनी। बाबा नाम से विख्यात स्व. पाटनी ने अपने परिवार के प्रति समर्पित भाव एवं परिवार को ऐसे संस्कार दिये कि आज हजारों लोग प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से उनसे उर्जाए प्राप्त कर अपना जीवन धन्य कर रहे है। नेत्र ज्योति दिवस मनाने का निर्णय उनके स्वर्गवास होने पर लिया गया।

राजकुमार शर्मा
राजकुमार शर्मा

बाबा साहब की प्रेरणा से हर धर्म-समाज के प्रति आर.के.मार्बल के अशोक, सुरेश व विमल पाटनी बन्धुओं ने कत्र्तव्यनिष्ठ होकर निरंतर प्रगति करते रहने की उर्जाए प्राप्त की है। नेत्र ज्योति दिवस मजलूमों का सहारा बनने और बाबा के आदर्शो को अपनाने का पावन दिन है। जीवन भर कत्र्तव्य पालन को सच्चा धर्म मानने वाले बाबा की आस्था सभी धर्मो में रही है। उनका विश्वास था कि सभी धर्म अच्छी बातें सिखाते है और व्यक्ति को कत्र्तव्य पालन का पाठ पढ़ाते है।

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