यानि कि रामचंद्र चौधरी भी हथेली नहीं लगा पाए

r c choudhry 1अजमेर डेयरी के अध्यक्ष रामचंद्र चौधरी ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट से जाति दुश्मनी के चलते नसीराबाद उपचुनाव में भाजपा का भरपूर साथ दिया, मगर वे भी हथेली नहीं लगा पाए, जबकि उनके पास तो इलाके की सारी दूध डेयरियां थीं और दूधियों पर उनका जबरदस्त प्रभाव माना जाता है। बताते हैं कि उन्होंने पूरी ईमानदारी से मेहनत कर धुंआधार प्रचार किया, चाहे निजी संतुष्टि के लिए ही सही, मगर सरिता को नहीं जितवा पाए। मीडिया में इस तरह की खबरें आ रही हैं कि उनका दावा सरिता के 15 हजार वोटों से जीत का था। अगर वे मेहनत नहीं करते तो सरिता की हार का आंकड़ा हजारों में होता। अगर यह बात सही मान ली जाए तो इससे यह अर्थ निकलता है कि जलदाय मंत्री प्रो. सांवरलाल जाट ने तो कुछ किया ही नहीं। जाट के लिए यह विडंबना ही है कि सरिता की हार का आंकड़ा सैंकड़ों में रहने का श्रेय चौधरी का दिया जा रहा है, जबकि यह वह सीट है, जिसे उन्होंने हजारों से वोटों से जीतने के बाद छोड़ा था। जो कुछ भी हो, चौधरी का श्रेय मिलना उनका मीडिया फ्रेंडली होना है। कम से कम इससे वसुंधरा के पास ये मैसेज जाएगा कि चौधरी ने तो खूब मेहनत की थी, जाट ने ही ठीक से काम नहीं किया। वैसे ये बात पक्की है कि इस हार की सीधी जिम्मेदारी जाट पर ही आयद होती है क्योंकि यह सीट उनकी थी, भले ही इसके लिए बाहर से आए मंत्रियों व विधायकों ने भी कमान संभाली हो।

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