सुशील कंवर पलाड़ा की बराबरी नहीं कर पाईं सरिता

सुशील कंवर पलाडा
सुशील कंवर पलाडा

केन्द्र व राज्य में प्रचंड बहुमत से बनी भाजपा सरकारें और राज्य की मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे की पूरी फौज के नसीराबाद विधानसभा उपचुनाव में लगने के कारण यही लग रहा था कि पूर्व जिला प्रमुख श्रीमती सरिता गैना जीत कर पूर्व जिला प्रमुख श्रीमती सुशील कंवर पलाड़ा के बराबर आ जाएंगी, मगर बदकिस्मती से ऐसा हो नहीं पाया। उन्होंने एक बारगी यह तथ्य फिर साबित कर दिया कि जो भी एक बार जिला प्रमुख बन जाता है, उसका राजनीतिक कैरियर खत्म सा हो जाता है।
ज्ञातव्य है कि इससे पहले जिला प्रमुख हनुवंत सिंह रावत, सत्यकिशोर सक्सैना, पुखराज पहाडिय़ा, रामस्वरूप चौधरी की किस्मत पर बाद में लगभग फुल स्टॉप ही लग चुका है। रावत का तो निधन हो गया, जबकि सक्सैना अब केवल वकालत करते हैं। कांग्रेस तक में सक्रिय नहीं हैं। पहाडिय़ा की बात करें तो वे हालांकि अब भी संगठन के कामों में सक्रिय हैं, मगर एक बार भी विधानसभा का टिकट हासिल नहीं कर पाए हैं। पहले वे पुष्कर से टिकट मांगते रहे, बाद परिसीमन होने पर नसीराबाद में जोर लगाया, मगर हर बार कोई न कोई रोड़ा आ गया। चौधरी भी फिलहाल ठंडे बस्ते में हैं। इस लिहाज से सुशील कंवर पलाड़ा किस्मत की धनी नहीं। जिला प्रमुख रहने के बाद पिछले विधानसभा चुनाव में मसूदा से ऐन वक्त पर टिकट ले कर आईं और बहुकोणीय मुकाबले में जीत कर दिखाया। इसमें कोई दोराय नहीं कि इस जीत में उनकी किस्मत ने तो साथ दिया ही, उनकी जिला प्रमुख रहने के दौरान की गई सेवाओं का भी खासा प्रभाव था।

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