लूणी नदी का तल निकलने के बाद भी बजरी का खनन जारी

खनिज विभाग की शर्तों की नहीं हो रही पालना, नदी से हो रही भारी मात्रा में बजरी का खनन, प्रशासन मौन

रायपुर की लूणी नदी का तल निकलने के बाद भी बजरी का खनन करते हुए। फोटो- पी एस राजपुरोहित
रायपुर की लूणी नदी का तल निकलने के बाद भी बजरी का खनन करते हुए। फोटो- पी एस राजपुरोहित

ब्यावर / रायपुर, (हेमन्त साहू) । पीएस राजपुरोहित, रायपुर मारवाड़ क्षेत्र की लूणी नदी में हो रहे बजरी खनन को रोकने के लिए लोगों ने अपना तेवर तीखे कर दिए हैं। मुख्यालय के ग्रामीणों ने बताया कि प्रदूषण नियंत्रण मंडल के कार्यालय व खनज विभाग में आपत्ति दर्ज कराएंगे। इधर, सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित मानकों से परे हटकर बजरी खनन जारी है। खननकर्ता फर्म की ओर से व्यापक पैमाने पर बजरी का खनन किया जा रहा है। क्षेत्र के साथ ही इस नदी से निकली बजरी मेड़ता, बीकानेर नागौर, झुंझुनूं , अजेमर , ब्यावर , और सीकर सहित अन्य राज्यों में भी भेजी जा रही है। ऐसे में नदी का प्रवाह बाधित होने और बजरी की उपलब्धता कम हो जाने का खतरा बना हुआ है।

आने वाले समय में खत्म हो जाएगी बजरी
इस बार क्षैत्र में बारिश की कमी से नदी में पानी नही आये ओर ऐसे में नदी में पानी के साथ पहुंचने वाली नई बजरी भी नहीं पहुंचने एवं भविष्य में मानसुन कमजोर रहा और नदी में पानी नहीं बहा तो आगामी साल में नदी में उपलब्ध बजरी क्षेत्र के निवासियों की जरूरत भी पूरी नहीं कर पाएगी। ठेकेदार फर्म सिर्फ मुनाफा कमाने के लिए पर्यावरण नियम व नदी की स्थिति की अनदेखी करते हुए व्यापक स्तर पर खनन करने में लगे है।

जगह- जगह माइनिंग से नहीं हो पा रहा पौधरोपण
खान एंव भू विज्ञान विभाग पर्यावरण संरक्षण को लेकर खासा चिंतित है इसके लिये खान निदेशालय ने बजरी की लीज स्वीकृत करने के साथ-साथ बजरी खनन करने के लिये नई गाइडलाइन जारी की है। इसमें साफ तौर पर शर्त रखी गई है की लीजधारक अब पूर्व की तरह नदी में जगह-जगह माइनिंग नहीं कर सकते है लीज धारक को नदी में एक चौथाई चौड़ाई में ही खनन की अनुमति होगी। बाकी के हिस्से में लीजधारक पौधरोपण करना पड़ेगा।,लेकिन रायपुर क्षैत्र के लीजधारक इस गाइडलाइन का असर नही दिख रहा है। और अवैध अवैध रूप से खनन कर रहे है।

लूूणी नदी से कुएं होते हैं रिचार्ज
क्षैत्र में बारिश होने पर लूणी नदी की इस शाखा में पानी बहने से रायपुर, लिलांबा, कुशालपुरा, बिचरडी, झूठा, निंबेडा कलां, चावण्डिया, दीपावास और लवाचा सहित कई गावों में स्थित कुएं रिचार्ज होते हैं। नदी में बजरी नहीं बचने की सूरत में पानी का ठहराव और पानी के जमीन में उतरने की क्षमता पर असर पड़ेगा और कुएं ठीक ढंग से रिचार्ज नहीं हो पाएंगे। इसी के चलते फर्म द्वारा बजरी खनन शुरू करने के बाद से ही किसान और ग्रामीण लगातार खनन का विरोध कर रहे हैं।

आपत्ति दर्ज कराएंगे क्षैत्रवासी

हेमन्त साहू
हेमन्त साहू

गौरतलब है की रायपुर मुख्यालय में कुछ माह पूर्व जनसुनवाई करवाई गई थी, लेकिन फार्म के जान पहेचान के लोग व रायपुर के अधिकारीयों मिलके बिना सुचना जनसुनवाई कर ली गई । जनसुनवाई में तो नहीं जा सके, लेकिन अब लिखित में आपत्ति दर्ज करवाने के लिए पाली जाएंगे। किसी भी हाल में नदी के मूल स्वरूप से छेड़छाड़ नहीं होने दी जाएगी। क्षेत्र में लूणी नदी का तल निकाल जाने के बाद भी खनन जारी है ओर लीजधारकों द्वारा पुन समतल भी नहीं की जा रही है । रोज हजारों टन बजरी निकल कर मेड़ता, बीकानेर नागौर, झुंझुनूं , अजेमर , ब्यावर , और सीकर सहित अन्य राज्यों में भी भेजी जा रही है। प्रशासन मामले को गंभीरता से नहीं लेता तो कोर्ट की शरण में जाने के विकल्प के बारे में भी ग्रामीण लाम बंद होने की तैयारी कर रहे हैं।
– मोहम्मद अजीज , नेमीचन्द , अमराराम देवसी , सुमित सैन ग्रामवासी

इन्होंने बताया:-मुझे इस मामले की फोन पर जानकारी मिली है। मैने ड्युटी अभी कुछ दिनो पहले जोइन की है। ग्रामीणो को हो रही समस्या समाधान करने का प्रयास किया जाएगा। नियमो के विपरित नदी मे बजरी का खनन जारी है तो लीजधारक के खिलाफ कार्यवाही की जायेगी। ग्रामीण अगर न्यायालय में याचिका दर्ज करवाये, इससे मुझे किया लेना देना है।
-पूर्णमल सिंगाडीया ,अभियंता, खनिज विभाग, ब्यावर।

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