नई आयात नीति से मार्बल व्यवसाय को नुकसान

किशनगढ़ में पड़ेगा असर
marbalकेन्द्र सरकार सरकार ने दो दिन पहले जो नईआयात नीति घोषित की है, उससे मार्बल व्यवसाय पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। देश में मार्बल व्यवसाय पहले ही मंदी के दौर से गुजर रहा है, वहीं अब नई नीति से छोटे व्यवसायी बाहर हो जाएंगे। इसका असर प्रदेश की किशनगढ़, राजसमंद, मकराना आदि मार्बल मंडियों पर भी पड़ेगा।
लम्बे इंतजार के बाद केन्द्रीय वाणिज्य और उद्योगमंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने मार्बल के लिए आयात नीति घोषित की। नई नीति के अनुसार अब उन व्यवसाइयों को ही मार्बल आयात करने का लाइसेंस मिलेगा, जिनकी बिक्री तीन वर्ष में पांच करोड़ की है। सरकार की इस एक नीति से जहां छोटे व्यवसायी मार्बल आयात नहीं कर सकेंगे, वहीं अनेक लाइसेंसधारी नया लाइसेंस नहीं ले सकेंगे। पुरानी नीति में प्रतिवर्ष एक करोड़ के कारोबार का प्रावधान था। छोटे व्यवसाइयों को उम्मीद थी कि जब देश का मार्बल व्यवसाय मंदी के दौर से गुजर रहा है, तब प्रतिवर्ष एक करोड़ के कारोबार को और कम किया जाएगा, ताकि+छोटे व्यवसाय भी विदेशों से मार्बल आयात कर सके, लेकिन  सरकार ने इसके उलट ऐसी नीति बना दी, जिससे सिर्फ बड़े व्यवसाइयों को ही लाभ पहुंचेगा। चूंकि देश में खदानों से मार्बल का उत्पादन करना भी महंगा हो गया है। इसलिए व्यवसाइयों की नजर विदेशों पर ही लगी हुई है, विदेशों में आधुनिक तकनीक से मार्बल का उत्पादन होता है। इसलिए सस्ता पड़ता है, इसके साथ ही गुणवत्ता की दृष्टि से भी विदेशों का मार्बल अच्छा है। छोटे व्यवसाइयों को उम्मीद थी कि सरकार ऐसी कोईनीति बनाएगी, जिससे देश के ही उत्पदान को बढ़ावा मिले, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। नई नीति में वे बड़े व्यवसायी ही लाइसेंस प्राप्त कर सकेंगे, जिनका कारोबार तीन वर्ष में पांच करोड़ का है। जानकारों का मानना है कि नई नीति से मार्बल व्यवसाय को भारी नुकसान होगा। किशनगढ़ में पांच सौ से भी ज्यादा मार्बल यूनिट है, इनमें से पहले ही अनेक बंद होने के कगार पर है। नई नीति के लागू होने से किशनगढ़ मंडी के हालात और खराब होंगे।
(एस.पी.मित्तल)

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