आसान नहीं है गौराण की गिरफ्तारी

dr. habib khan goran 2हालांकि हाईकोर्ट ने राजस्थान लोक सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. हबीब खान गौराण की अंतरिम जमानत को रद्द कर दिया है, लेकिन इसके बावजूद भी एसओजी, एसीबी और पुलिस आसानी के साथ गौराण को गिरफ्तार नहीं कर सकते हैं। इन सभी जांच एजेंसियों में वे भी अफसर नियुक्त हैं जो पूर्व में किसी ना किसी रूप में गौराण से उपकृत हो चुके हैं। आयोग का अध्यक्ष बनने से पहले गौराण पुलिस सेवा में थे। आरपीएस से पदोन्नत होकर आईपीएस बने गौराण ने न जाने कितने पुलिस अफसरों को उपकृत किया तथा सेवानिवृत्ति के बाद जब आयोग के अध्यक्ष बने, तब भी उपकृत करने का क्रम जारी रहा। आयोग में पुलिस सेवाओं की भर्ती के साक्षात्कार में गौराण ने आलोक त्रिपाठी सहित अन्य अफसरों को अनेक बार बुलाया। आयोग के नियमों के तहत पारिश्रमिक का तो लिफाफा दिया ही साथ अन्य सुविधाएं भी उपलब्ध करवाई। सवाल उठता है कि जांच एजेंसियों के जो अफसर बार-बार उपकृत हो चुके हैं क्या वे गौराण को गिरफ्तार कर पाएंगे? पूर्व में जब अंतरिम जमानत नहीं मिली थी तब भी गौराण गिरफ्तारी से बचते रहे और अब सुप्रीम कोर्ट जाने तक भी शायद बचे रहेंगे। भाजपा सरकार की नाराजगी भी अब पहले से कम हुई है ऐसे में गिरफ्तारी का दबाव भी कम है। गौराण शुरू से ही आरोप लगाते रहे हैं कि उन्हें राजनीतिक कारणों से फंसाया जा रहा है। आयोग के अध्यक्ष के पद पर रहते हुए उन्होंने ऐसा कोई कार्य नहीं किया, जिसकी वजह से अपराध साबित होता हो। जहां तक उनके कार्यकाल में बिटिया का आरजेएस में चयन का मामला है तो वह योग्यता के आधार पर है। मंैने परीक्षा से पहले बिटिया को पर्चा लीक नहीं किया।
s.p.mittal

error: Content is protected !!