मोदी की पार्टी में वंश परंपरा का बोलबाला

bjp logoभाजपा के नए खेवनहार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भले ही वंश परंपरा से परहेज रखने की सीख देते हों, कदाचित इसी के चलते विधानसभा उपचुनाव में केन्द्रीय जलदाय राज्य मंत्री प्रो. सांवरलाल जाट के बेटे को नसीराबाद से टिकट नहीं दिया गया, मगर हाल ही घोषित अजमेर शहर जिला भाजपा कार्यकारिणी में इस सीख को ताक पर रख दिया गया है। यदि ये कहा जाए कि ताक पर नहीं बल्कि उठा कर फैंक दिया गया है तो शायद ज्यादा उपयुक्त होगा।
शहर जिला भाजपा की इस कार्यकारिणी में आश्चर्यजनक रूप से पूर्व राज्य मंत्री श्रीकिशन सोनगरा के पुत्र विकास सोनगरा और पांच बार सांसद रहे प्रो. रासासिंह रावत के पुत्र तिलक रावत के पुत्र को उपाध्यक्ष बना दिया गया है, जबकि पार्टी को उनका सांगठनिक रूप से कोई सक्रिय योगदान नहीं रहा है। इसको लेकर पार्टी के लिए दिन-रात एक करने वाले कार्यकर्ताओं को मायूसी हो रही है। उनकी मायूसी इसलिए वाजिब लगती है क्योंकि अगर काडर बेस पार्टी में ही इस तरह से पेराटूपर थोपे जाएंगे तो काडर से गुजर कर आने वालों का क्या होगा। ज्ञातव्य है कि जब काडर बेस को ध्यान में रखते हुए ही शहर अध्यक्ष पद पर अरविंद यादव को आरूढ़ किया गया था, तो ये संदेश गया था कि पार्टी में सक्रिय रूप से सक्रिय युवाओं की टीम गठित की जाएगी, मगर ऐसा हुआ नहीं। यूं सीधे तौर पर इस स्थिति के लिए शहर अध्यक्ष यादव ही जिम्मेदार माने जाएंगे, मगर ये सब जानते हैं कि कितने भारी दबाव की वजह से कार्यकारिणी घोषित नहीं कर पा रहे थे। समझा जा सकता है कि जिस जगह से केन्द्रीय जलदाय राज्य मंत्री प्रो. सांवरलाल जाट, राजस्थान पुरा धरोहर संरक्षण न्यास के अध्यक्ष औंकारसिंह लखावत, राज्य के शिक्षा राज्य मंत्री प्रो. वासुदेव देवनानी व महिला व बाल अधिकार राज्य मंत्री श्रीमती अनिता भदेल आते हों, वहां के शहर जिला अध्यक्ष की क्या स्थिति होगी। अगर वे अपने कुछ चहेतों को शामिल कर भी पाएं हैं तो वह राज्य सभा सदस्य भूपेन्द्र यादव के दम पर, जिनकी अनुकम्पा से ही वे शहर अध्यक्ष बने हैं। यहां यह बताना प्रासंगिक ही होगा कि विकास सोनगरा का नंबर यादव के श्रीकिशन सोनगरा से निकट संबंधों की वजह से आया है। हालांकि सोनगरा का कोई अलग गुट नहीं रहा है, मगर यादव के उनसे संबंधों को सारे भाजपाई जानते हैं। यही वजह है कि इन दिनों सोनगरा को विशेष तवज्जो मिलने लगी है, वरना लखावत ने तो उन्हें पूरी तरह से दरकिनार ही कर दिया था। एक और कयास ये भी लगाया जा रहा है, वो ये कि उम्र के लिहाज से सोनगरा की राजनीतिक पारी लगभग पूरी हो चुकी है, ऐसे में विकास सोनगरा को भविष्य में अजमेर दक्षिण से टिकट का दावेदार बनाने का धरातल बनाया जा रहा है। इसी प्रकार प्रो. रावत की राजनीतिक पारी भी अवसान की ओर है, सो उनके पुत्र तिलक रावत को स्थान दिया गया है, ताकि बाद में उन्हें रावत नेता के तौर पर उभारा जा सके।
जहां तक सुरेन्द्र सिंह शेखावत का यादव के अंडर में महामंत्री बनने का सवाल है, उस पर तनिक आश्चर्य होता है क्योंकि वे नगर परिषद के सभापति रह चुके हैं, मगर जब तक कोई बड़ी राजनीतिक रेवड़ी नहीं मिलती, उन्होंने महामंत्री पर स्वीकार करना उचित समझा होगा। कहने की जरूरत नहीं है कि वे अजमेर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष पद के दावेदार हैं और आगामी नगर निगम चुनाव में मेयर पर के भी दावेदार हो सकते हैं। उधर धर्मेन्द्र गहलोत ने संभव है मेयर रह चुकने की वजह से यादव की कार्यकारणी में आना उपयुक्त नहीं समझा है। वे भी प्राधिकरण अध्यक्ष व मेयर पद के दावेदार माने जाते हैं। इसमें कोई दोराय नहीं कि कार्यकारिणी पर गुटबाजी का भी प्रभाव रहा है, जिसकी वजह से रश्मि शर्मा व विनोद कंवर से कहीं अधिक योग्य व जिम्मेदार पद पर रह चुकी वनिता जैमन को दरकिनार किया गया है। संपूर्ण कार्यकारिणी को देखने से लगता है कि इस पर देवनानी का प्रभाव कुछ ज्यादा है। देवनानी के प्रति झुकाव का इशारा लोगों को गत दिनों मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे की अजमेर यात्रा के दौरान हेलीपेड पर मिल गया था।
-तेजवानी गिरधर

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