रजनीश रोहिल्ला ने सुप्रीम कोर्ट से याचिका वापस ली

rajnish rohillaआरोप लगा सकते हैं कि रजनीश रोहिल्ला ने सबकी लड़ाई नहीं लड़ी, अपने तक सीमित रहे और मजीठिया वेज बोर्ड के हिसाब से दैनिक भास्कर से पैसे मिलते ही सुप्रीम कोर्ट से अपनी याचिका वापस ले ली. ज्यादा अच्छा होता अगर रजनीश रोहिल्ला सबकी लड़ाई लड़ते और सारे पत्रकारों को मजीठिया के हिसाब से पैसा दिला देते. लेकिन हम कायर रीढ़विहीन लोग अपेक्षाएं बहुत करते हैं. खुद कुछ न करना पड़े. दूसरा लड़ाई लड़ दे, दूसरा नौकरी दिला दे, दूसरा संघर्ष कर दे, दूसरा तनख्वाह दिला दे. खुद कुछ न करना पड़े. न लड़ना पड़े. न संघर्ष करना पड़े. न मेहनत करनी पड़े.

कई लोग रजनीश रोहिल्ला पर आरोप लगा रहे हैं कि उन्होंने पत्रकारों को धोखा दिया. अरे भाई. रजनीश रोहिल्ला ने अपने लिए याचिका दायर की थी. उनके आगे जब भास्कर प्रबंधन रोया गिड़गिड़ाया और भरपूर पैसा दिया तो उन्होंने याचिका वापस ले ली. सुप्रीम कोर्ट के आर्डर की प्रति यहां चिपकाया गया है ताकि आप जान सकें कि किस तरह रजनीश रोहिल्ला ने खुद समेत तीन साथियों की लड़ाई लड़ी और जीते. ये अलग बात है कि वह सबके लिए नहीं लड़े. ठीक भी किया. जिसे मजीठिया चाहिए उसे सुप्रीम कोर्ट जाना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट जाना बेहद आसान है. किसी परिचित वकील से एक ड्राफ्ट तैयार कराइए. सुप्रीम कोर्ट में दायर करा दीजिए. बस, देखिए कैसे नहीं मिलेगा आपको मजीठिया.

अब आप ये न कहना कि ये मालिक तो सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर भी नहीं दे रहे. मालिक लोग मोटी चमड़ी वाले होते हैं. शांत, सुंदर, सौम्य लोगों का ये मोटी चमड़ी वाले जमकर शोषण करते हैं और इसी शोषण-उत्पीड़न के जरिए वे लोग मोटी चमड़ी वाले यानि बड़े आदमी बन जाते हैं. ये मोटी चमड़ी वाले यानि बड़े लोग सिर्फ उनसे डरते घबराते हैं जो इनको उंगली कर देते हैं, जो इनकी पोलखोल देते हैं, जो इनके खिलाफ कोर्ट कचहरी से लेकर विभिन्न माध्यमों में घुसकर जाकर हो हल्ला करते हैं. ऐसे हल्लाबाजों के आगे ये मोटी चमड़ी वाले तुरंत समर्पण कर देते हैं. तो भाइयों, आप लोग सुंदर सौम्य शांत बने रहिए और किसी मसीहा का इंतजार करते रहिए. आप लोगों के मसीहा थे मोदी जी. बड़ा भारी भरोसा था. वे मोदी जी तो अब मोटी चमड़ी वालों के सबसे मोटे मित्र बन चुके हैं. फिर इंतजार करिए किसी नए मसीहा का. रजनीश रोहिल्ला ने अपनी लड़ाई लड़ी और जीत कर आगे बढ़ चुके हैं.

रजनीश रोहिल्ला ने इस लड़ाई के दौरान अपना खुद का मीडिया कारोबार भी शुरू कर दिया. राजस्थान केंद्रित एक मैग्जीन का प्रकाशन शुरू कर दिया. इस तरह इस बहादुर समझदार पत्रकार ने संघर्ष और सृजन, दोनों रास्तों को अपनाते हुए अपने लिए शानदार जीत हासिल कर नई मंजिल की तरफ कूच कर दिया है. उनके लिए, जो सपने देखते हैं, लड़ते हैं, संघर्ष करते हैं, यह धरती, यह दुनिया बहुत कुछ तोहफे देती है. उनके लिए जो डरपोक हैं, जो कमजोर हैं, जो कायर हैं, जो बने बनाए लीक पर चलने वाले हैं, ये धरती दुनिया बेहद कष्टकारी और दुखद है. रजनीश रोहिल्ला को एक बार फिर बधाई कि उन्होंने संघर्ष और सृजन का रास्ता चुनकर अपने लिए एक नया आसमान बनाया है. ये बताना भी जरूरी है कि भड़ास ने जिन जिन को हीरो बनाया, वे चाहे दैनिक जागरण के प्रदीप सिंह हों या दैनिक भास्कर के रजनीश रोहिल्ला, सबने अंततः जीत हासिल की, उनके आगे उनका संस्थान उनका प्रबंधन झुका.

प्रदीप सिंह आज दैनिक जागरण में शान से नौकरी कर रहे हैं. प्रदीप वही शख्स हैं जिन्होंने दैनिक जागरण के मालिकों महेंद्र मोहन गुप्ता और संजय गुप्ता को डायरेक्ट मेल कर मजीठिया वेज बोर्ड के हिसाब से पैसा मांगा था. इसके बाद प्रदीप का तबादला कर दिया गया था. भड़ास ने जब पूरे मसले को प्रमुखता के साथ उठाया तो जागरण प्रबंधन की हवा खिसक गई और इन लोगों ने प्रदीप के आगे हथियार डालकर उन्हें फिर से सम्मान के साथ व शर्तें मानते हुए काम करते रहने का अनुरोध किया.

तो भाइयों, अगर सच्चे मीडियाकर्मी हो, चाहे किसी मीडिया संस्थान में चपरासी हो या मशीनमैन हो, पत्रकार हो या पेजीनेटर हो, आप तभी सच्चे मीडियाकर्मी कहलाओगे जब अपने हक के लिए लड़ोगे, भिड़ोगे. जिनके कंधे पर पूरे जमाने के शोषण अत्याचार के खिलाफ लड़ने बोलने दिखाने की जिम्मेदारी हो, वे अपनी ही लड़ाई अगर नहीं लड़ सकते तो सच्चे कहां के और कैसे हुए. इसलिए मीडियाकर्मी दोस्तों, सोचो नहीं. आगे बढ़ो और अपना हक अपना हिस्सा लो. मजीठिया वेज बोर्ड के हिसाब से अगर पैसा नहीं मिला है तो चुपचाप सात फरवरी से पहले सुप्रीम कोर्ट में कंटेंप्ट आफ कोर्ट का केस डाल दो. केस डालने के बाद तो आपको आपका प्रबंधन ट्रांसफर भी नहीं कर सकता क्योंकि तब यह पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर की गई कार्यवाही में शुमार किया जाएगा और आपको लेबर कोर्ट से या सुप्रीम कोर्ट से स्टे मिल जाएगा. नीचे एक पत्र है, जिसे एक साथी ने भड़ास को भेजा है, सुप्रीम कोर्ट के उपरोक्त आर्डर के साथ. पढ़िए और आप भी सात फरवरी से पहले कंटेंप्ट आफ कोर्ट का मुकदमा दायर करने की तैयारी करिए. जैजै.

-यशवंत सिंह, एडिटर, भड़ास4मीडिया
संपर्क: [email protected]

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