लोगों के दिलों पर नाम खुदा गये वीर कुमार

वीर कुमार पुण्यतिथि 23 जनवरी विशेष
veer kumar 3– विनोद चौहान ‘स्वामी जी’- 23 जनवरी 2000 का वह दिन अजमेर की जनता शायद कभी भुला नहीं सकेगी। क्योंकि इसी दिन तब के नगर परिषद सभापति वीर कुमार जी ने अपनी कर्मभूमि अजमेर को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया था।
धर्म और संस्कृतिप्रिय वीर कुमार प्रसिद्ध कथावाचक श्री मुरारी बापु द्वारा रामकथा का अजमेर में आयोजन करवाने के लिए उनसे मिलने उदयपुर गए थे जहां हृदयगति रुक जाने से उनका दुखद निधन हो गया था। जिस लचर सरकारी व्यवस्था के खिलाफ जनता की आवाज बनकर वीर कुमार अजमेर के जननायक के रूप में उभरे थे उसी लचर सरकारी व्यवस्था का वह उदयपुर में शिकार हो गए थे।
उन्हें वहां जब दिल का दौरा पड़ने के बाद महाराणा भुपाल सरकारी अस्पताल ले जाया गया तब वहां जारी सरकारी कर्मचारियों की हड़ताल के चलते उनका उपचार ठीक प्रकार से नहीं हो पाया और अजमेर ने अपना लाल खो दिया।
अपनेपन के उनके स्वभाव के कारण वीर कुमार में किसी को अपना पिता, किसी को भाई और किसी को अपना बेटा नजर आता था। दलीय राजनीति से अलग एक जननेता की छवि वीर कुमार ने अपने कार्यों से जनता के दिलों में अंकित की थी। वह किसी के साथ अन्याय को कभी बर्दाश्त नहीं किया करते थे। जन समस्याओं को हल करवाने का उनका तरीका शायद कुछ लोगों को पसन्द नहीं भी था मगर उनके विरोधी भी नेकनियति पर कभी सवाल खड़े नहीं करते थे।
राजनैतिक, धार्मिक और सामाजिक क्षेत्र में ऐसे नायकों की जरूरत हमेशा रहती है जिनके पास अपनी सोच, अपनी दृष्टि और दम हो। वीर कुमार ऐसी ही शख्सियत बनकर उभरे थे। उन्होंने सिर्फ 43 वर्ष की उम्र में ही वह मुकाम हासिल कर लिया था जो विरलों को ही नसीब होता है।
नगर परिषद में उनके द्वारा करवाए गए विकास कार्यों की आज भी मिसाल दी जाती है। संसाधनों और धन की कमी के बावजूद जनता के कार्य हो सकते हैं, यह उन्होंने कर दिखाया था।

विनोद चौहान
विनोद चौहान

छात्र नेता से लेकर नगर परिषद के सभापति तक का सफर उन्होंने काफी कम वक्त में अपनी मेहनत और जनता के प्रिय होकर हासिल किया था। न्यायप्रियता और फैसलों में कठोरता ने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया था और आज अगर वह जीवित होते तो निश्चित ही बहुत ऊंचाईयों पर होते।
वीर कुमार अपनी कार्यशैली, आशावादिता, सरल स्वभाव, स्पष्टवादिता, संघर्षशीलता, ईमानदारी और कर्मठता के बल पर अजमेर की जनता के दिलों पर अपना नाम खुदा गए हैं। जिसे कभी मिटाया नहीं जा सकता।
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