देवनानी ने 16 करोड़ बचाए सरकार के..

वासुदेव देवनानी
वासुदेव देवनानी

कठपुतली का खेल सब जानते हैं। नाचते हुए दिखती तो कठपुतली है लेकिन उसे नचाता है पर्दे के पीछे खड़ा कलाकार। अपनी अंगुलियों पर। सरकारों का भी यही हाल है। पर्दे पर काम करते तो मंत्री दिखाई देते हैं लेकिन ज्यादातर में होता यह है कि उनसे काम करवाया जाता है। परदे के पीछे यहां जो कलाकार होता है उसे अफसरशाह के नाम से जाना जाता है। बहुत कम मंत्रियों को अपने काम काज से संबंधी तकनीकी जानकारी होती है। जिन मंत्रियों को अपने काम काज की तकनीकी जानकारी है उनमें शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी भी शामिल हैं।
एक उदाहरण हाल ही में सामने आया है। सरकार स्कूली बच्चों को साइकिल बांटने जा रही है। तीन लाख से ज्यादा साइकिलें बंटनी है। महकमे के अफसरों ने टेंडर की प्रक्रिया लगभग पूरी कर ली थी। एक साइकिल करीब 32 सौ रूपए में खरीदा जाना तय हो गया। वित्त विभाग के अफसरों ने मंजूरी भी दे दी। वासुदेव देवनानी के पास मामला आया तो उन्हें दो बातें खटकीं। एक-टेंडर में यह नहीं था कि साइकिल के मडगार्ड, चेन कवर, फ्रेम आदि की मोटाई या गेज क्या होंगे। दो-दरों को लेकर नेगोसिएशन क्यों नहीं हुआ। शिक्षा महकमे के सूत्र बताते हैं कि देवनानी ने यह भी जानकारी ली कि पेंट करने से पहले और बाद में गेज कितना कितना होगा। जानते हैं इस कवायद का क्या असर हुआ। साइकिलों की दरों में 400 से लेकर 600 रुपए तक की कमी आ गई। कुल कमी हुई 16 करोड़ रुपए की।
काश। जल संसाधन मंत्री रहते सांवर लाल जाट भी इसी तरह की तकनीकी बारीकियों की जानकारी रख लेते तो अजमेर की पेयजल परियोजनाओं में बेतहाशा बढ़ौतरी न होती।
-प्रताप सनकत
वरिष्ठ पत्रकार
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