अभी तो नजर नहीं आ रहा स्मार्ट सिटी की कवायद का प्रतिफल

नरेन्द्र कुमार जैन सीए
नरेन्द्र कुमार जैन सीए

अभी हाल ही में जब मैं अजमेर के राजस्थान रोडवेज बस स्टैण्ड पर उतरा तो जो भाव स्मार्ट सिटी का मन में लेकर आया वह चकनाचूर हो गया। और यह हुआ वहां के सार्वजनिक पेशाबघर की हालत देख कर, जो बता रही थी कि अजमेर को स्मार्ट सिटी बनाने हेतु मीटिंग करना और मीटिंग की विज्ञप्ति रिलीज करना कितना आसान है, पर उसे अमलीजामा पहनाना कितना कठिन है। अभी सफाई पखवाड़ा चल रहा है। यदि अजमेर के सभी पेशाबघरों की सफाई ही कर दी जाए तो कई महीनों व सालों से सफाई मांग रहे ये पेशाबघर साफ होने के बाद कम से कम स्मार्ट सिटी की शुरुआत तो कहलाएंगे।
अजमेर विकास प्राधिकरण (ए.डी.ए.) के आयुक्त महोदय के प्रतिदिन कोई न कोई स्टेटमेंट और घोषणाएं पेपरों में पढऩे मिल रही हैं। अच्छा भी लग रहा है कि पूरी शिद्दत के साथ यह विभाग अजमेर को स्मार्ट बनाने के प्रयास में जुटा हुआ है। परन्तु सब कुछ वैसा नहीं है, जैसा होना चाहिए। बार-बार अपील की जा रही है कि इस योजना में जनता की भागीदारी चाहिए, हर समय अपील भी की जा रही है कि जन भागीदारी के बिना इस योजना को आगे नहीं बढाया जा सकता अथवा इसकी सफलता के लिए जनता का भपूर सहयोग व मार्गदर्शन चाहिए। यदि वास्तव में जनता का सहयोग लेने का भाव ही है तो जनता के बीच में कार्य कर रही विकास समितियों की लिस्ट बनाना व समय-समय पर उनके साथ उनके क्षेत्र के विकास की योजनाओं पर बात करना अत्यन्त आवश्यक है। यदि हमने उस क्षेत्र की विकास समितियों को विश्वास में नहीं लिया व उनके साथ वार्तालाप का कोई कदम नहीं उठाया तो ये समितियां किस प्रकार प्रशासन को सहयोग देंगी और अपने क्षेत्र को स्मार्ट सिटी के अनुरूप विकसित करा पाएंगी।
उदाहरण के लिए नाका मदार क्षेत्र के अन्तर्गत कई कॉलोनियां विकसित हुई हैं, जहां विकास समितियां गठित हैं। कुछ रजिस्टर्ड हैं तथा कुछ अनरजिस्टर्ड, परन्तु कार्य तो वे अपनी-अपनी कॉलोनियों के लिए भरपूर कर ही रही हैं। गुलाबबाड़ी रेलवे फाटक से लेकर जेपी नगर व इन्जीनियरिंग कॉलेज तक का क्षेत्र इसमें आता है। प्रारम्भ होता है मधुवन कॉलोनी से जो रजिस्टर्ड सोसाइटी के रूप में कार्य कर रही है। इसके अधीन एक कम्युनिटी सेन्टर है, जिसमें एक बड़ा हॉल भी है, जो शादी समारोह आदि में काम आता है। एक मंदिर भी है। कहने का तात्पर्य यह है कि इस प्रकार से कार्यरत सोसाइटी वे सभी बातेें प्राधिकरण को बता सकती हंै, जो इस क्षेत्र को स्मार्ट बनाने की दृष्टि से आवश्यक हैं। परन्तु इस प्रकार की सोसाइटी को अभी तक इस योजना का अंग नहीं बनाया गया।
हमारा अनुरोध है कि पूरे नगर में कार्यरत इस प्रकार की संस्थाओं को सूचीबद्ध करके उन्हें जोड़ा जाय व उनके सुझावों पर कार्य योजना बनाई जाय ताकि अजमेर की समस्याओं के समाधान से शुरुआत करते हुए इसके विकास की योजनाओं तक पर काम किया जा सके।
परन्तु हमें यह ध्यान रखना होगा कि इन संस्थाओं के साथ बैठने का अर्थ होगा वास्तविक कार्य करना न कि मात्र नारों व आश्वासनों की नाव पर सवार होकर दिल बहलाना। इसके लिए ठोस कार्य योजना बनानी होगी, सुझावों पर अमल करने हेतु निगरानी समिति भी बनानी होगी, तभी कार्य हो पाएगा और जनता का सहयोग मिल पाएगा।
यदि हमने मात्र मीटिंगें की, सरकारी अधिकारियों का शामिल करके विचार-विमर्श किया तो हमें वह सफलता नहीं मिल पाएगी, जो आवश्यक है। हम यह भी समझ लें कि अजमेर को स्मार्ट सिटी बनाने की योजना में अमेरिका शामिल है। वहां समय-समय पर रिपोर्ट भी भेजी जानी होंगी। वहां मात्र कागजी रिपोर्ट नहीं चलेंगी। वहां तो वास्तविक रिपोर्ट ही मान्य होगी। अत: अजमेर विकास प्राधिकरण वास्तविकता के धरातल पर चले तभी अजमेर को स्मार्ट बनाया जा सकेगा। अन्यथा अजमेर की जनता तो जानती है कि अजमेर के पिछडऩे का कारण यहां की कमजोर राजनितिक पकड़ व स्वार्थसिद्धि की बहुलता है। उदाहरण के रूप में यहां कार्यरत अधिकारियों की कारगुजारी का ही परिणाम है आनासागर सक्र्यूलर- वैशाली नगर रोड पर अधूरा बना गौरव पथ है, जो एक मंदिर को बीच सड़क से एक किनारे नहीं करने के दंश को तो भुगत ही रहा है, साथ ही आगे बने मॉल व व्यापारिक प्रतिष्ठानों की स्वार्थसिद्धि की भेंट भी चढ़ गया है।
हम समय रहते इन समस्याओं व अजमेर में हो रहे तथाकिथित विकास के नमूने आपके सम्मुख रख रहे हैं, ताकि आप इन कमजोरियों को ध्यान रख सकें और अजमेर को स्मार्ट सिटी योजना का लाभ मिल सके।

एन के जैन सीए
वरिष्ठ पत्रकार

error: Content is protected !!