अपराधियों पर मेहरबान ब्यावर पुलिस!

Sharad Sen
शरद सेन

3 माह में ही शरद हत्याकांड मामले में लगा दी एफआर, न्याय के लिए भटक रहे परिजन, सरकार से न्याय की गुहार
– सुमित सारस्वत – ब्यावर पुलिस अपराधियों पर मेहरबान है। शायद यही वजह है कि शहर में दिनोंदिन संगीन अपराध बढ़ रहे हैं। आलम यह है कि सरकारी कर्मचारी की कथित हत्या जैसे गंभीर मामले में भी पुलिस ने चंद दिनों में ही जांच पूरी कर एफआर लगा दी। पुलिस की इस कार्यवाही से पीडि़त परिवार संतुष्ट नहीं है। बूढ़ी मां, बहन और परिवार आज भी न्याय के लिए भटक रहा है। पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए पीडि़त परिवार ने गृह मंत्रालय को लिखित पत्र और मुख्यमंत्री को मेल भेजकर न्याय की गुहार की है।
मामला जाजोदिया नगर निवासी शरद सेन की मौत का है। बाबरा के सरकारी स्कूल में लिपिक पद कार्यरत शरद ने गत 12 नवंबर को जयपुर के एसएमएस अस्पताल में उपचार के दौरान दम तोड़ दिया था। मौत के बाद उनकी बहन राजेश ने पुलिस को शिकायत देकर शरद की पत्नी सीमा पर हत्या का आरोप लगाया था। आरोप के अनुसार गत 5 नवंबर को शरद की पत्नी सीमा ने मोहिन्दर व अन्य लोगों के साथ साजिश रचकर शरद को तेजाब व केरोसिन डालकर जला दिया। वारदात का खुलासा होने के बाद मृतक की बहन राजेश की शिकायत पर पुलिस ने हत्या का मामला दर्ज कर अनुसंधान शुरू किया। आश्चर्य की बात है कि इस सनसनीखेज वारदात में पुलिस ने महज 3 माह में ही जांच पूरी कर एफआर लगा दी, जबकि घटना के चश्मदीद गवाह भी थे।
शहर थानाधिकारी सत्येंद्र नेगी का कहना है कि शरद के केस में एफआर लग गई है। जो गवाह सामने आए, वो विश्वसनीय नहीं थे। एफआर लगे करीब डेढ माह हो गया। इधर, मृतक के भाई संदीप का आरोप है कि पुलिस ने मामले में गंभीरता नहीं दिखाई। आरोपियों के खिलाफ नामजद शिकायत देने के बावजूद किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई। गृहमंत्री को पत्र भेजकर मामले से अवगत कराया है। साथ ही एफआर लगाने के विरोध में सरकार को भी मेल भेजा है।

एसडीएम से मिला पीडि़त परिवार
इस मामले में पीडि़त परिवार ने उपजिला मजिस्ट्रेट भगवती कलाल से मुलाकात कर न्याय मांगा। मृतक शरद की बूढ़ी मां सुशीला, शिकायतकर्ता बहन राजेश सहित परिवार के अन्य लोग साथ थे। एसडीएम ने बताया कि पीडि़त परिवार के लोग मुलाकात के लिए आए थे। मैं मामले को एसपी के पास फॉरवर्ड कर सकता हूं। अगर पुलिस ने एफआर लगा दी है और पीडि़त पक्ष जांच से संतुष्ट नहीं है तो न्यायालय में वाद दायर कर सकता है। कई मामलों में कोर्ट जवाब मांग लेती है और उचित लगता है तो दुबारा जांच भी होती है।

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