ख्वाजा और ब्रह्मा को अलग क्यों मानते हो

arun parasharख्वाजा मोईनुद्दीन चिस्ती के सालाना उर्स के मोके पर क्या हिन्दू क्या मुसलमान सभी के नेताओ में चादर चढ़ाने की होड़ मची हैं । सभी राजनेतिक पार्टिया बढ चढ़ कर अपने प्रमुख प्रधान नेताओ के नाम की चादरे चढ़वा -देश में अमन चेन का भाई चारे का संदेश सुना रही हैं। इन सब जियारत दारो को पता हैं कि कुछ ही दुरी पर जगत पिता श्री ब्रह्मा जी का एक मात्र मन्दिर स्थित हैं । यहाँ आकर किसी भी नेता ने सर झुकाना मुनासिब नहीं समझा । इन नेताओ का व्यवहार हिन्दुओ के तीर्थ केप्रति ऐसा क्यों हो जाता हैं? क्या ये अनभिज्ञ हैं कि मंत्री एम् एल ए सांसद मुख्य मंत्री प्रधान मंत्री केवल हिन्द के राजा ख्वाजा ही बना सकते हैं। जगत के पिता ब्रह्मा जी नहीं । अब आप ही सोचे कि ये नेता धर्म के नाम भाई चारे का सन्देश देने आते हैं या एक धर्म विशेष के वोट बटोरने आते हैं। यदि ऐसा नहीं हैं तो इन नेताओ को निकट ही पुष्कर आकर जगत पिता ब्रह्मा जी के चरणों में शीश झुकाने में किस बात का संकोच व् शर्म महसूस होती है? इन नेंताओ की हिन्दुओ के तीर्थ के प्रति ऐसी भेद पूर्ण उपेक्षा क्यों ? जब की हर कोई जानता हैं की ख्वाजा साहब के दर पर बहुतायत संख्या में हिन्दू बड़े उदार ह्रदय से शीश झुकाने जाता हैं ।जिनमे हिन्दू नेताओ की संख्या तो मुस्लिम नेताओ से ज्यादा ही होगी। तो फिर ऐसा भाई चारा मुस्लिम लोगो व् इनके नेताओ कोहिन्दुओ के तीर्थ पुष्कर आकर ब्रह्मा जी द्वार पर मथा झुकाने मेंशर्म क्यों? क्यों कि ऐसा करने में इनका धर्म आड़े आता हैं। फर्क साफ हैं । हिन्दू कितना उदार पंथी हैं और मुस्लिम उतना ही कट्टर पंथी – जब ही तो हमारे नेता और लोग इनके पीर पैगम्बरो के यहाँ उदार मन से शीश झुकाने में कोई शर्म संकोच नहीं मानते । ऐसी उदारता इनकी हमारे संत महात्मा देवताओ के प्रति क्यों नही हैं। ये केसे भाई चारे का सन्देश देते जा रहे हैं जिसे एक भाई मानता ही नही हैं। ईशवर अल्लाह एक ही तो फिर ये भेद केसा ।हम तो अल्लाह के दर शीश झुकाते रहते हैं और आप जो हैं कि ईशवर की तरफ मुड़ के देखना भी नहीं चाहते।खुदा के बन्दों गफलत छोड़ो और ये भी मानों कि ख्वाजा ही नहीं ब्रह्मा जी के दर पर भी इंसानियत के ही गुल खिलते हैं। ई शवर का स्वर्ग और खुदा की जन्नत कभी जुदा नही हो सकते तो फिर खुदा की रहमत और ईशवर की दयालुता में फर्क केसा ।गफलत की नींद में सोने वालो जागो और आखें खोलो । जहन्नुम और जन्नत में भेद करो मगर स्वर्ग और जन्नत में केसा भेद – तो फिर ख्वाजा और ब्रह्मा को अलग क्यों मानते हो । ख्वाजा का दर और ब्रह्मा का दरबार दोनों ही इंसानियत के मन्दिर और भगवान के घर ही तो हैं। सोचो विचारों और और अपनी धार्मिक कट्टरता में बदलाव लाकर सभी धर्मो के देवो को सम्मान देकर इंसानियत की पूजा करो जेसा कि ख्वाजा के दर पर जाकर इंसानियत की दुआ मागताहैं हिन्दू ।राजनेतिक पार्टी के हिन्दू मुस्लिम नेताओ ख्वाजा ही नही ब्रह्मा जी के पास भी करोडो वोट हैं यहाँ भी शीश झुका कर तो देखो क्या क्या मिलता हैं ब्रह्मा जी के दरबार में। जय पुष्कर राज की ।
अरुण पाराशर – सामाजिक कार्यकर्ता पुष्कर।

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