– अरुण पाराशर– पुष्कर- सावित्री माता मंदिर पहाड़ी पर रॉप – वे का निर्माण कार्य पिछले छह माह से अघोषित कारणों से बंद पड़ा हैं ? कोंन जिम्मेदार ? किसी भी जन प्रतिनिधि ने आज तक इस मामले को गम्भीरता से नही देखा सुना ना ही आम जनता को बता सके कि ये कार्य इन इन खामियों के चलते सरकार ने निर्माणाधीन अवधि में रोकना जरूरी समझा हैं? और यदि निर्माणाधीन अवधि में रोका जाना जरूरी ही था तो फिर सरकार की स्वयं की लापरवाई मानी जानी चाहिए कि खामिया रहते इस कार्य को आनन फानन में नेताओ से शिलान्यास करवा ठेकेदार से निर्माण शुरू करवा दिया गया ? खामिया रहते किस अधिकारी ने अपने पद का दुरूपयोग कर इस कार्य को शुरू करने के लिखित में वर्क ऑर्डर दिए थे सरकार ने आज तक उस अधिकारी के खिलाफ कोई अनुशात्मक कार्यवाही क्यों नही की? क्या ये जाँच का विषय नहीं हैंकि जिसकी गेर जिम्मेदारी और कम के प्रति घोर लापरवाही के कारण ऐसे बहु जन उपयोगी कार्य को जहाँ मोके पर 40 % कार्य हो चूका हैं उसे सरकार ने आगामी आदेश तक निर्माणाधीन कार्य को रोकने के आदेश देकर ठेकेदार को पाबन्द कर दिया हैं। असलियत में तो जानकारी में ये ही आया हैं कि जेसा पिछले दिनों अखबारों में छपा कि इस कार्य का सरकार और ठेकेदार के बीच प्रसाशनिक करार (एम् ओ यू ) विधि सम्मत नही हो सका था इसलिए श्री मान जिला कलक्टर ने निर्माणाधीन रोप – वे के कार्य पर रोक लगा दी हैं? ये तो सही हैं कि ठेकेदार ने वन क्षेत्र में कार्य करने के लिए पर्यावरण नियमो के तहत स्वीकृति तो सबसे पहले ले ही ली होगी? उसी तरह इतने दुर्गम स्थल पर निर्माण को तकनीकी रूप से सावधानी व सुरक्षा पूर्वक किये जाने की भी अनुमति सम्बन्धित विभाग से कम्पनी ठेकदार ने निश्चित ही पूर्व में ही ले रखी होगी ?
तो क्या केवल सरकारी स्तर पर होने वाले प्रशासनिक करार को कर लेने में छह छह महीने से कार्य अवरुद्ध पड़ा रहे इसका क्या राज और ओचित्य ही हैं? जनप्रतिनिधि इतने लम्बे विलम्ब का क्या वास्तविक कारण हकीकत में हो सकता हैआज तक पता नही लगा सके न ही ये बता रहे हैं की ये बहु जन उपयोगी रोप – वे का अरसे से बंद पड़ा निर्माण कार्य कब किस तारीख से फिर शुरू हो जायेगा ? पुष्कर तीर्थ वासी ही क्या वे सोभाग्य वती माता बहिने -आगन्तुक तीर्थ यात्री गण विदेशी पर्य टक सभी अर्से से इस बहु आयामी बहु उपयोगी हर किसी के लिए कोतुहल का विषय – उड़न हिंडोले में बेठ कर माँ सावित्री देवी जी दर्शन की अभिलाषा कब तक सपना ही बनी रहें