अजमेर की रेलवे यूनियन सिर्फ शक्ति प्रदर्शन ही करती है, रेल कर्मचारियों के बारे में कोई नही सोचता।
भीषण गर्मी में इन दिनों रेल कर्मचारियों के सरकारी आवासों पर पानी की किल्लत मची हुई है। रेलकर्मियों के परिवारजन पिछले 1 माह से पानी की किल्लत से जूझ रहे है। वही पानी की समस्या पर ना तो रेलवे प्रशासन कोई ध्यान दे रहा है और ना ही कर्मचारियों के हित की बात करने वाली रेल यूनियन। नाम उजागर ना करने की शर्त पर रेलकर्मी ने बताया कि हमारी समस्याओं पर यूनियन के नेता सिर्फ नेतागीरी करते है। तो वही रेलवे के अफसर सिर्फ अपने आलाधिकारीयों का ध्यान रखते है। दरअसल पिछले एक महीने से हजारी बाग़, स्टाफ लाइन, 5 बंगला रोड और रामगंज में रहने वाले रेलकर्मी पानी को तरस रहे है। यहाँ पहले पानी 24 घंटे के अंतराल में आता था। लेकिन अब पानी 48 घंटो के अंतराल में आ रहा है। रेल परिजनों के अनुसार पानी के प्रेशर की इन कॉलोनियों में अब बड़ी समस्या बन चुकी है। कुछ दिन पहले रेलवे ने पानी के टैंकर की व्यवस्था की थी लेकिन वह भी अब बन्द हो चुकी है।
पानी ही समस्या नहीं और भी समस्याओ से परेशान है
रेलवे के सरकारी आवासो पर अवैध अतिक्रमण लगातार जारी है। रेलवे क़्वाटर्स के इलाके गंदगी से भरे पडे है। कई सरकारी आवास तो असामाजिक गतिविधियों के अड्डे बन चुके है। वही रेलवे पुलिस अपने ही इलाको की सुरक्षा नहीं कर पाती है। ख़ास बात तो यह है कि जब पुरे शहर में पुलिस गश्त देती है तब रेलवे की पुलिस सोती है। रेलवे कॉलोनियों में रेलवे पुलिस की कोई गश्त नहीं लगाई जाती है। जिसके कारण अनैतिक गतिविधियाँ रेलवे के आवासो में होती नजर आती है। वही दूसरी और रेलवे का इंजीनियरिंग विभाग रेल कर्मचारियों के आवासों पर ध्यान नही दे रहा है। कई आवास जर्जर पड़े है। यह आवास किसी ना किसी हादसे को बुलावा देते नजर आ रहे है।
डीआरएम नरेश सालेचा तक तो मामला पहुँचता ही नहीं है
वही रेलवे आवासो की दुर्दशा और समस्यायों का मामला डीआरएम नरेश सालेचा तक पहुचने ही नहीं दिया जाता है। विभागों के अफसर रेल परिजनों की शिकायतों की कॉपी वही दबा देते है। कई मामलो में तो शिकायतकर्ता की शिकायत तक दर्ज नहीं की जाती है। उम्मीद करते है इस खबर के बाद अजमेर के डीआरएम अपने क्षेत्र की समस्याओं से अवगत होंगे और रेलकर्मियों के परिजनों को राहत देंगे।
सुशील पाल