डांगावास प्रकरण …विषय गहन चिन्तन का है कि क्या सिर्फ थानेदार और उप अधिक्षक को हटा कर इति श्री हो गई , उनका क्या हुआ जो बरसों से हर राज में सदा सुहागन की बेले बने हुए नागोर में प्यार बांट रहे थे ।घटना के बाद वहां के SP और I G किस के हुक्म का इन्तजार कर रहे थे क्या पुलिस की भर्तीयां जरूरी थी या ५ दलितों की जान औऱ जिले की कानून व्यवस्था।ये लोग कब गये मौके पर जाचं का विषय है। पूर्व में व्यवस्था थी की माह में एक बार प्रभारी Add G P स्तर का अधिकारी अपनी रेन्ज में जायेगा और वहाँ रेन्ज क्राइम मीटिगं लेगा पता नहीं वो आदेश कहा खो गया उसका क्या हुआ। अब वो रेन्ज incharge add g p की मीटिगं PHQ में सुबह १०.३० बजे औपचारिकता बन कर रह जाती है, अगर अब इस आदेश का कोई अर्थ नहीं रह गया है तो निरस्त कर दो भाई कौन मना करता है।बडे अधिकारी भी पता नहीं किस के आदेश का इन्तजार कर रहे है या wait and watch कर रहे है कि कब सरकार वजूद में आ जाये क्योंकि जो सरकार ६महीने तक ट्रान्सफर पोस्टिंग लिस्ट ना निकाल कैसे उससे अधिकारी भी क्या आपेक्षा रखे और क्यों जोखिम ले वेतन औऱ नजराना तो हर हाल में मिलना ही है कृपया अन्यथा ना लें मन में पीडा थी जो आप लोगों के साथ बांट ली.
एडवोकेट राजेश टंडन, अजमेर