निर्दलीय पार्षद ज्ञान सारस्वत भाजपा के लिए एक गुत्थी बने हुए हैं। आगामी नगर निगम चुनाव में वे फिर निर्दलीय ही खड़े होंगे या फिर भाजपा में शामिल हो कर टिकट लेंगे, इस पर पूरे शहर में कयास लगाए जा रहे हैं।
असल में ज्ञान सारस्वत शिक्षा राज्य मंत्री प्रो. वासुदेव देवनानी के विरोधी माने जाते हैं। पिछले निगम चुनाव में उन्हें भाजपा ने टिकट नहीं दिया तो निर्दलीय खड़े हो गए। जीते तो सर्वाधिक वोटों से। चूंकि उनका वार्ड देवनानी के विधानसभा क्षेत्र में आता है, लिहाजा वहां भाजपा की हार से देवनानी की किरकिरी हुई। उनसे वरदहस्त प्राप्त वरिष्ठ भाजपा नेता तुलसी सोनी बुरी तरह से जो हारे। हालांकि जब डिप्टी मेयर के चुनाव हुए तो उन पर भाजपा में शामिल होने का भारी दबाव था, कांग्रेस भी उनका साथ देने को तैयार थी, मगर उन्होंने तय कर लिया कि रहेंगे निर्दलीय ही। खैर, जब विधानसभा चुनाव आए तो वे देवनानी को हराने के लिए ताल ठोक बैठे, मगर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के दबाव में पीछे हट गए। अब सवाल ये उठ खड़ा हुआ है कि क्या सारस्वत फिर निर्दलीय ही लड़ेंगे या फिर संघ के कहने पर भाजपा उनको टिकट ऑफर करेगी?
वैसे पार्षद बनने के लिए उन्हें भाजपा के टिकट की जरूरत है नहीं। उन्होंने वार्ड में इतना काम किया और अपना व्यवहार बनाया है कि वे अपने बूते ही फिर से जीत कर आएंगे, ऐसी मान्यता है। इतना ही नहीं, उनका असर आसपास के वार्डों में भी है। अगर निर्दलीय लड़े तो उन वार्डों में भी भाजपा को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इस कारण भाजपा के लिए यह मजबूरी हो सकती है कि उन्हें टिकट दे कर शांत करे। अब ये देवनानी पर निर्भर करेगा कि वे क्या रणनीति अपनाते हैं। वे भी सारा नफा नुकसान आंक कर ही निर्णय करेंगे। जहां तक सारस्वत का सवाल है, वे खुद अपनी ताकत से वाकिफ हैं। यानि कि टिकट लेने के साथ ही जीतने पर कुछ और हासिल करने की उम्मीद पालेंगे। हो सकता है कि मेयर पद की दावेदारी ठोक दें। और अगर अजमेर दक्षिण की विधायक श्रीमती अनिता भदेल ने साथ दिया तो और अधिक ताकतवर हो जाएंगे। कदाचित इसी कारण से देवनानी उनको टिकट देने में रुचि न दिखाएं।
हालांकि सारस्वत को राजनीतिक रूप से बहुत चतुर-चालाक नहीं माना जाता, इस कारण उनसे बहुत बड़े गेम की आशा नहीं की जा सकती। मगर कांग्रेस चाहे तो कुछ सीटें कम रहने पर उन पर कुछ और निर्दलियों के सहारे मेयर का गेम खेल सकती है। हालांकि अभी ये कयास मात्र है, मगर एक समीकरण तो है ही।
वैसे इतना पक्का बताया जा रहा है कि सारस्वत टिकट मिले या न मिले, चुनाव लड़ेगे जरूर और समझा ये ही जा रहा है कि भाजपा उन्हें ऑफर देगी। हाल ही उनकी ओर से सोशल मीडिया पर जिस प्रकार वार्ड के मतदाताओं का आभार जताया गया, वह चुनावी रणभेरी का ही संकेत है।
-तेजवानी गिरधर
7742067000
1 thought on “भाजपा के लिए एक गुत्थी : ज्ञान सारस्वत”
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My Super Hero Mujhe bhi aap Jaisa kuch karna hai bhai shab