क्या ऐसे बन पायेगा स्मार्ट सिटी?

praveen kumarअजमेर को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए तरह-तरह की योजनाएं बनाई जा रही हैं। स्मार्ट सिटी में यह होना चाहिए, वो होना चाहिए, ये सुविधाएं होनी चाहिए इत्यादि। लेकिन ये सारी चीजें तभी हो सकती हैं जबकि सिटी के साथ यहां के लोगों की सोच भी स्मार्ट हो। शहर के टैम्पो-सिटी बस चालक जहां मर्जी हो अपने वाहन रोक देते हैं। उनकी वजह से बाकी लोगों को परेशानी होती है तो हो, उन्हें क्या। कम चौड़ाई वाली सड़कों पर लोग अपने चौपहिया वाहन ले जाते हैं, जिसके कारण यातायात जाम हो जाता है। लोग सड़क पर खड़े होकर बात करने लग जाते हैं।
महिलाओं के लिए शौचालय/पेशाबघर की कहीं व्यवस्था दिखाई नहीं देती है और आदमी जहां मर्जी हो, वहां खड़े हो जाते हैं, उन्हें शहर की स्वच्छता से कोई लेना-देना नहीं होता है। मार्टिण्डल ब्रिज पर दीवार के सहारे पेशाब कर जाते हैं। वहीं थोड़ी दूरी पर यातायात पुलिस का सिपाही खड़ा होता है, लेकिन इससे ऐसे लोगों को कोई लेना-देना नहीं होता, न ही पुलिस को इससे कोई मतलब होता है। ठेले वाले अपने ठेला दूसरे ठेले वाले से थोड़ा आगे ही लगाना चाहते हैं, चाहे रास्ता संकरा हो या रास्ता रुके। लोग सड़क किनारे कचरा पटक देते हैं। आवारा पशु उस कचरे में खाद्य सामग्री ढूंढकर खाने लग जाते हैं। कई बार वे आपस में लड़ पड़ते हैं, जिससे सड़क पर चलने वालों को परेशानी होती है। उनके कारण दुर्घटनाएं भी हो जाती हैं।
फल-सब्जी वाले प्रतिबंध के बावजूद प्लास्टिक की थैलियां इस्तेमाल करते हैं क्योंकि कई लोग अब भी बिना थैले के बाजार जाते हैं। न तो जनता मानती है, न फल-सब्जी विक्रेता। शहर में ज्यादातर फुटपाथांे पर साइकिल-गाड़ियां, ठेले खड़े रहते हैं। दुकान वाले अपनेे सामान जमा लेते हैं। जब पैदल चलने वालों के लिए बनाए फुटपाथ पर यह सब होगा, तो पैदल चलने वाले कहां चलेंगे? कई जगह नालियां पानी-कीचड़ से भरी रहती हैं, तो कहीं नालियों में सिर्फ मिट्टी-सूखा कचरा भरा रहता है।

प्रवीण कुमार, अ.वि.वि.नि.लि.,
सिद्धार्थ नगर, धोला भाटा रोड, अजमेर

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