संभाग के सबसे बड़े अस्पताल में नहीं है चिकित्सा की व्यवस्था

अंकुर सोनी
अंकुर सोनी
कहने को जवाहरलाल नेहरू चिकित्सालय संभाग का ,स्मार्ट सिटी का सबसे बड़ा चिकित्सालय है परन्तु अगर यहाँ के हालत देख ले तो कही से नहीं लगेगा की यह इस काबिल है .
1 -मरीज को ४ लाइन से गुजरना पड़ता है और एक लाइन में आधे घंटे लगते है
१- सबसे पहले पर्ची के रजिस्ट्रेशन में लाइन फिर
२-डॉक्टर को दिखने में लाइन
३- सील लगाने में लाइन
४-दवाई लेने में लाइन
इतनी देर में तो आधे मरीज तो वैसे ही तो “ठीक” हो जाते है या फिर प्राइवेट हॉस्पिटल चले जाते है अस्पताल प्रसाशन चाहे तो काउंटर और खिड़की बड़ा कर इन लीणो को काम कर सकता है
2 -न्यूरोसर्जन और नूरोफिजिसियन का डिपार्टमेंट कई सालो से खाली है.इस के चलते रोगियों को साइकेट्रिस्ट के पास या निजी चिकित्सालयों में महंगा इलाज करवाना पड़ रहा है.कई रोगी जो मिर्गी या तान के होते है वो चिकित्सा के अभाव में अंधविस्वास में पड़ रहे है .
चिल्ड्रन वार्ड की स्थिति यह है की एक बेड पर २ -३ बच्चो का इलाज चल रहा है .एक नेबुलाइज़र जिस मशीन की कुल कीमत १५०० रुपये है, के लिए लाइन लगानी पड़ रही है. चिल्ड्रन वार्ड में रात को इमर्जेन्सी में आवश्यक दवाई के काउंटर नहीं खुलता जिसको ढूंढने के लिए मरीज के परिजन दुकान ही ढूंढते रहते है. एक विंडो वह भी खोल दे तो सुविधा हो जाएगी .
और तो और जल्दी जल्दी में इमरजेंसी में मरीज को दिखने आये गाव वाले लोग वाहन बाहर खड़े कर देते है उसको ट्रेफिक पुलिस वाले उठा कर ले जाते है क्योकि वह कही भी ऐसा बोर्ड नहीं लगा की यहाँ वहां खड़ा करना मना है और वहां से उठा कर ले जायेंगे इस चक्कर कई गाव वाले परेशान होते रहते है .
लोग धर्म और दान के नाम पर लाखो खर्च कर देते है लेकिन एक दिन इमरजेंसी वार्ड का चक्कर काट आना अगर अगर सही में सेवा करनी है तो वहां आकर करो स्वर्ग और नरक ,जन्नत और जहन्नुम दोनों वही है.-
अंकुर सोनी
सामाजिक विषयो पर लिखते है

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