पार्षद की कमाई क्या है ?

राजेंद्र हाड़ा
राजेंद्र हाड़ा
अगले पांच साल तक सफाई, लाईट, मकान नक्शे तक आपको जिसकी अंगुलियों पर नाचना है, उसे कल चुनने का मौका है। पिछले करीब एक महीने से टिकट और आपका वोट पाने के लिए जो कवायद की जा रही थी यानि पार्षद बनने के लिए, तो क्या यह जानना जरूरी नहीं है कि आखिर किस जनसेवा या समाजसेवा के लिए यह कवायद की जा रही है। आपको पता है एक पार्षद की आय कितनी होती है। एक नंबर में देखें तो उसे मासिक भत्ता मिलता है ढाई से तीन-चार-पांच हजार और जिन दिनों जीसी होती है उन दिनों का सौ-दो सौ भत्ता। फिर कैसे पुराने स्कूटर से वह नई कार, किराए से नए मकान, ऑफिस में आ जाता है। उसके बच्चे महंगी स्कूलों में पढ़ते हैं और उसके बच्चों के आलीशान शादी-समारोह होते हैं जिनमें कथित ईमानदार नेता अफसर भी शान से शिरकत करते हैं। अब आइए दो नम्बर पर। वार्ड कें दो से चार सफाई कर्मचारियों की मासिक तनख्वाह उसे मिलती है। इसे यूं समझिए आपके वार्ड के लिए तय हैं तीस सफाई कर्मचारी। इनमें से वास्तविक तौर पर काम करेंगे सिर्फ बीस। बचे बाकी दस। उनमें से दो से चार की तनख्वाह यानि बारह से चौदह हजार मिलेंगे पार्षद को। बाकी में हिस्सा होगा निगम के कर्मचारियों, अफसरों, ठेकेदार और जमादार वगैरह का, जो उपर से नीचे तक बीस को तीस करने की इस कसरत में हिस्सेदार होंगे। इसके बाद आइए स्ट्रीट लाइट ठेकेदार पर वह हर महीने एक फिक्स मासिक रकम पार्षद को देगा। पन्द्रह साल पहले यानि सन् 2000 में यह रकम 500 रूपए महीना थी। बताते हैं अब पांच हजार रूपए महीना है। पांच साल में एक वार्ड में औसत 50 लाख से एक करोड रूपए के सड़क, नाली, ब्लॉक्स लगाने के काम होते हैं। पार्षद को कमीशन मिलता है कम से कम दस प्रतिशत। अगर नहीं मिले तो बिल पास नहीं हो। कुछ पार्षद अपने निकटतम रिश्तेदार के नाम पर ठेके लेते हैं। ठेका लेने के दौरान निगम के उनकी सक्रियता, पूल की बंदरबांट, काम आवंटन, बिल पास कराने में सक्रियता से सब को पता होता है कि कौनसा ठेका किस पार्षद के पास है। सड़क की चौड़ाई और नाली की गहराई दो-चार इंच भी कम करने, सीमेंट-बजरी का अनुपात कम करने, ब्लॉक्स या पत्थरों की हलकी क्वालिटी से लाखों के वारे-न्यारे का बंदरबांट होता है। इसके अलावा अपने वार्ड में बिना नक्शे के मकान बनाने, आवासीय मकान में दुकान बनाने, उसे किराए पर देने, कोई भी निर्माण शुरू करने में पार्षद को पैसा नहीं मिले तो वह अडंगा लगा देता है। यह अडंगा पैसा मिलने पर ही हटता है। क्या आपको पता है कि आपके वार्ड में निगम की एक लाइब्रेरी चलती है। इस लाइब्रेरी में पांच-छह दैनिक अखबार और कुछ मैगजीन आती है। इस लाइब्रेरी की रद्दी निगम को लौटानी पड़ती है। लाइब्रेरी चलती है पार्षद के घर। उसकी रद्दी का पैसा भी वही खाता है। कई जगह पार्षद सरकारी यानि निगम की जमीन पर कब्जा करवाने या खुद कब्जा करने में पीछे नहीं रहते। कई पार्षद अपने वार्ड में बने कॉम्पलैक्स, एजेंसी, डीलरशिप में पार्टनर हो जाते हैं। कुछ आज भी हैं। एक मेयर थे उन्होंने शहर के आवारा कुत्तों की नसबंदी का ठेका दे दिया। कुत्तों की संख्य क्या थी और नसबंदी कितनों की हुई किसी को पता नहीं परंतु ठेकेदार को भुगतान हुआ और मेयर की जेब मे ंकाफी मोटी रकम पहुंची। एक पार्षद कहते हैं यहां कमाने ही तो आए हैं। उन्हीं पार्षद ने एक पुरानी पुलिया की मरम्मत करवाने के लिए वहां मौजूद एक गरीब आदमी का प्लॉट अपने नाम करवाने की शर्त कार्यकर्ताओं के सामने रख दी। निगम का दशहरा मेला, गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस पर बंटने वाले लड्डुओं, नवरात्रा, रामलीला, दरगाह उर्स, मिनी उर्स, शहर में लगे हॉर्डिंग, बैनर सस्ते में लगवाने, या लगवाने वाले से पैसे वसूल करने का काम पार्षदों की दिनचर्या का हिस्सा है। कुछ पार्षद और पार्षद पति निगम मे घुसते ही शाम की दारू पार्टी के प्रायोजक के इंतजाम में लग जाते हैं। वहीं तो असली डील होनी होती है। आप वोट देने जा रहे हैं, जरूर दीजिए परंतु इन बातो को भी ध्यान में रखिए आज ही नहीं आगे भी।
– राजेन्द्र हाड़ा 09829270160

4 thoughts on “पार्षद की कमाई क्या है ?”

  1. sir mujhe in nigma parsado ke bare me ye batye ki janta ki kese madat kare or kya kya ye kar sakte hai

  2. दिल्ली नगर निगम पार्षद को मेरी जानकारी के अनुसार रुपये 1200/- वार्ड मीटिंग इत्यादि के मिलते हैं। इसके अलावा तो सारी कमाई काला धन के रूप में ही है। जैसे अवैध निर्माण को लेकर जूनियर इंजीनियर से महिना लेकर इसके अलावा आैर कया कमाई है मुझे बताएं महोदय।

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