बार रूम पर अगर लगे सोलर प्लांट ?

राजेंद्र हाड़ा
राजेंद्र हाड़ा
पिछले दिनों अजमेर के वकील फिर आंदोलित हो गए। मुद्दा था जिला अदालत की ओर से बार रूम समेत वकीलों की अन्य जगह लगी बिजली काट दिए जाने का। राजस्थान हाईकोर्ट ने पिछले महीने राजस्थान भर के जिला न्यायाधीशों के नाम एक आदेश जारी किया था कि राज्य सरकार उन्हें वकीलों के बार रूम आदि के लिए बिजली खर्च का कोई फंड नहीं देती इसलिए वकीलों को अपना बिजली खर्च खुद उठाने के लिए कहा जाए। अजमेर के वकीलों ने आंदोलन किया। हाईकोर्ट ने छह महीने तक अपने आदेश को रोक लिया और आंदोलन खत्म हो गया। राज्य भर की अदालतों की बात छोड़ें अजमेर की बात करें। अजमेर में दो बड़े और दो छोटे हॉल हैं जिनमें लाइब्रेरी के साथ पचास से ज्यादा पंखें और ट्यूब लाइटें, एक कार्यकारिणी का कमरा, एक बड़ा और दो छोटे बरामदे, दो एलसीडी टीवी, दो फोटो कॉपी मशीन, चार -छह कम्प्यूटर मय प्रिंटर, के अलावा अदालत के लगभग सभी बरामदों, टिन शेड्स में लगे पंखे-टयूब लाइटे हैं। 29 वकील चैम्बर्स में अपने अलग बिजली के मीटर्स हैं। एक अनुमान के मुताबिक वकीलों का बिजली का खर्च औसतन बीस से तीस हजार रूपए महीना है। हाईकोर्ट ने फिलहाल छह महीने तक मामला टाल दिया है। छह महीने बाद विवाद यह फिर उठ सकता है। अजमेर क्यों नहीं एक उदाहरण पेश करता ? बार रूम के पास एक बहुत विशाल छत है। इस छत पर सौर उर्जा का अपना खुद का प्लांट वहां स्थापित किया जा सकता है। तीन सौ वर्ग फीट जगह में तीन किलो वाट का एक सौर उर्जा प्लांट स्थापित होता है। यह इतनी बिजली उत्पन्न करता है कि वकीलों की मौजूदा सुविधाओं के लिए पर्याप्त है। इसमें हर महीने-दो महीने बाद आने वाला बिजली का बिल भी नहीं आता। सिर्फ एक बार पैसा लगाना है। अनुमानत तीन किलो वाट के सौर उर्जा प्लांट पर अधिकतम ढाई-तीन लाख रूपए का खर्च आता है। अजमेर बार की सदस्यता संख्या है करीब एक हजार तीन सौ। बार एसोसिएशन के हर सदस्य से सिर्फ एक दफा मात्र एक सौ रूपए लिए जाएं। एक लाख तीस हजार रूपए के उपर जो रकम लगे वह बाकी की रकम बार वहन कर यह सौर उर्जा प्लांट स्थापित कर बिजली की हमेशा की व्यवस्था कर सकती है। क्या हुआ यदि बार एक साल सहस्त्रधारा और उसका भंडारा, पौष बड़ा, होली और दीवाली खर्च नहीं होगा ? सौ रूपए तो सिर्फ एक दफा ही देने हैं। बार एसोसिएशन के पास फंड की कोई कमी नहीं है। बजट, ऑडिट, आय-व्यय का ब्यौरा जैसी व्यवस्था बार एसोसिएशन में है ही नहीं। एक वकील औसतन आम तौर पर महीने में अधिकतम पच्चीस दिन सुबह ग्यारह से दिन में तीन-चार बजे तक ही बिजली का उपयोग करता है। साल में ढाई महीने अदालतें सुबह सात से दोपहर एक बजे तक होती हैं। आम तौर पर सुबह,शाम और रात में बिजली की जरूरत नहीं होती। इस तरह बिजली कम खर्च होगी। इसके कुछ फायदे भी होंगे। राज्य सरकार की आए दिन होने वाली बिजली कटौती का कोई असर नहीं होगा। दूसरे देश भर में अजमेर बार एसोसिएशन वकीलों की पहली संस्था होगी जो इस बारे में एक अनूठी पहल करेगी और बिजली के मामले में आत्मनिर्भरता की मिसाल बनेगी। अभी वकील पंखा चलता छोड़ने और ट्यूब लाइटें जलती छोड़ने के आदी हैं। बाद में घर जाते समय वैसे ही इन्हें बंद करने की आदत डाल लें जैसे घर में करते हैं तो और बचत होगी। इस बारे में हमारे ही एक साथी वकील राजेश चौधरी आपको अधिक तकनीकी जानकारी दे सकते है। उनका परिवार इस व्यवसाय से जुड़ा है। भविष्य में उत्पन्न होने वाली किसी भी समस्या का समाधान भी उनके जरिए किया जा सकता है।
-राजेन्द्र हाड़ा 09829270160

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