सूफी संत ख्वाजा मोईनुद्दीन हशन चिश्ती की दरगाह जहाँ देश भर के जायरीन आते है और जियारत करते है जिस प्रकार मंदिरो में पंडितो के द्वारा पूजा की जाती है उसी प्रकार दरगाह शरीफ में खादिम जायरीनों को जियारत कराते है और यह सिलिसला करीब 800 सालो से इसी प्रकार से चला आ रहा है दरगाह शरीफ में लगभग 4500 खादिम है जिन पर सरकार लगाम लगाने जा रही है मगर यह इतना आसान नहीं है सरकार खादिमो को योग्यता के अनुसार लाइंसेस जारी करेगी और जो योग्य है उनके अनुसार वही खादिम बहार से आने वाले जायरीनों को जियारत करा पायेगा !
केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलात मंत्री नजमा हेपतुल्ला इस मामले में पूरी दखल दे रही है सरकार के आदेशो पर दरगाह शरीफ के नाजिम अशफाक हुसैन ने बैठक बुलाई उनके अनुसार राज्य सरकार ने जिस तरह नगर निकाय चुनाव में पार्षदों के लिए शैक्षणिक योग्यता अनिवार्य की है उसी तरह दरगाह शरीफ के खादिमो को लाइंसेस दिये जाने के नियमो में भी शैक्षणिक योग्यता होनी चाहिए ! हुसैन के अनुसार दसवी या बी ए पास में से एक योग्यता अनिवार्य की जायगी ! हालांकि यह प्रस्ताव बनाकर केंद्र सरकार को भेजा जायगा और केंद्र की मोहर लगते ही इसे अमल में लाया जायगा !
खादिमो में विरोध
इस पुरे मामले को लेकर खादिमो में काफी रोष है और वो नहीं चाहते की लाइंसेस किसी प्रकार से अमल में आये ! अंजुमन कमिटी के सचिव वाहिद हुसैन अंगारा और उपाध्यक्ष सैयद इकबाल चिश्ती के अनुसार खादिमो के पहचान ख्वाजा साहब के नाम से है और उन्हें किसी भी तरह से शिनाख्ती की जरुरत नहीं है दरगाह कमिटी सिर्फ अपनी नाकामियो की छुपाने के लिए खादिमो को लाइंसेस दिय जाने का मुद्दा उठा रही है ! अंजुमन के पूर्व सदस्य सैयद मुनव्वर चिश्ती ने भी दरगाह कमिटी ने भी इस कवायद का काफी विरोध कर रही है और हमें किसी तरह के लाइंसेस की जरुरत नहीं है वही दूसरी और अंजुमन के पूर्व सचिव सैयद सरवर चिश्ती का भी कहना है जिस तरह से दरगाह शरीफ के दीवान से हमें समझोता करना पड़ा है उसी तरह हर कोई खादिमो पर हावी होने लग जायगा और अंजुमन की ढिलाई के कारण ऐसा हो रहा है !
नियम हुआ लागू तो 80 प्रतिशत खादिम होंगे बहार
अगर सरकार दसवी या बी ए पास का नियम लागू किया जाता है तो काफी खादिम को लाइंसेस नहीं मिल पायगा ! इसे देखते हुए ही इस पुरे मामले में नाजिम द्वारा इस निर्णय का पुरजोर विरोध किया जा रहा है !
किशोर सिंह सोलंकी
केवल खादिमों को ही लाइसेंस देने की बात क्यों की जा रही है , दरगाह दीवान और उसके वंशजों को क्यों लाइसेंस नहीं देती सरकार ?