प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी सरकारी स्कूलों का स्तर परखने के लिए आज से तीन दिवसीय शिक्षा संबलन अभियान शुरू किया गया जिसमे पुरे राज्य में करीबन सभी विभागों के अधिकारी निरिक्षण करने जा रहे हे प्रतिवर्ष करोड़ो रूपये खर्च करके वर्ष में दो बार शिक्षा संबलन अभियान के तहत स्कूलों का निरिक्षण किया जा रहा हे लेकिन क्या इस अभियान से सरकारी स्कूलों के स्तर में अब तक सुधार आया।अधिकारी स्कूल जाते हे बच्चो की पढाई का स्तर को जांचते हे पर आख़िरकार उनको हथियार टेकना पड़ता हे उसका कारण स्कूलों में शिक्षको की कमी आज सरकारी स्कुलो की इतनी हालत ख़राब हो रखी हे की इस सत्र को चलते 4 माह बीत गए लेकिन शिक्षको के पद रिक्त होने से स्थिति इतनी विकट हो रखी हे की बच्चो की पढाई तक शुरू नही हो पाई जब स्कुलो में शिक्षक ही नही हे बच्चो की पढाई नही हो पाई तो यह निरिक्षण किस काम का क्यों सरकार इन फालतू दिखावे पर करोड़ो रूपये खर्च कर रही हे इससे अच्छा तो पहले शिक्षको की भर्ती करे रही बात सरकारी स्कूलों का ढांचा सुधारने की तो यह सब कुछ करने की जरूरत नही हे बस मंत्रियो विधायको सांसदों जनप्रतिनिधियो शिक्षको और अधिकारियो के बच्चो का सरकारी स्कूलों में पढ़ाने का आदेश जारी कर दो अपनी आप ही सरकारी स्कूलों का ढांचा सुधर जायेगा।
अनिल पाराशर संपादक बदलता पुष्कर।