मजाक बनी आईओसी की मॉक ड्रिल!

b-अमित सारस्वत- ब्यावर में गुरुवार सुबह इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (आईओसी) की मॉक ड्रिल मजाक से कम नहीं थी। सभी आपातकाल वाहनों और अधिकारियों की मौजूदगी के बाद आग लगाई गई और महज 30 सेकेण्ड में आग बुझा भी दी। यह किसी व्यंग्य से कम नहीं था।
हर बार घटना होने के बाद आपातकाल को सूचना दी जाती है लेकिन इस बार सब उलटा हुआ। पहले अधिकारी और आपातकाल वाहन बुलवाए। फिर आग लगाकर मॉक ड्रिल की नौटंकी शुरू की गई। महज 30 सेकेण्ड में आग बुझा दी। लीकेज पाइप लाइन को दुरस्त करने में भी सिर्फ 45 मिनट लगे, जबकि हकीकत में किसी भी क्षतिग्रस्त लाइन को दुरस्त करने में करीब 24 से 48 घंटे लगते हैं। कई बार तो 5 से 7 दिन भी लग जाते हैं। पिछले 3 साल का रिकॉर्ड देखें तो क्षेत्र में करीब 5-6 बार आईओसी की लाइन किसी न किसी वजह से क्षतिग्रस्त हुई, जो कभी भी 45 मिनट या 5 घंटे में दुरस्त नहीं हो पाई।
सवाल उठता है कि यदि इस मॉक ड्रिल से महज रिकॉर्ड में सालाना कार्य को दर्शाना था तो आईओसी ने प्रशासन और आपात वाहनों का समय क्यों ख़राब किया? ख़ैर आईओसी है किसी का भी मजाक बना सकती है, लेकिन जिम्मेदारों को सोचना होगा कि ऐसी मॉक ड्रिल कहां तक सार्थक है?
-अमित सारस्वत, जर्नलिस्ट

1 thought on “मजाक बनी आईओसी की मॉक ड्रिल!”

  1. Every programe should be in perfect manner. Purpose of mockdrill should be very clear . Civil defence rescue team should also be called . Because under such instance Civil Defence Volunteer is d first responder. Chief warden CD Ajmer

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