सच हो जाए बस, ‘स्मार्ट- सिटी’ सा सपना

शमेन्द्र जडवाल
शमेन्द्र जडवाल
कहते हैं, सपने बड़े रोचक हुआ करते है।कई कई दिनों तक दिमागी कोल्ड स्टोरेज में उनकी यादें- तरो-ताजा रहती है।सपने कब,क्यों और कैसे – आते हैं, यह विषय भी अपने आप में बडा जटिल है। लेकिन इससे पहले एक ऐसे सपने का जिक्र होना लाजमी लगता है, जो ‘अजमेर’ शहर के वासियों को दिलो जान से ज्यादा चाहकर दिखाया जा रहा है । इसके पीछे का सच तो नही मालूम, लेकिन ‘नजारा’ आप भी देखियेगा ।
अजमेर के जागरूक नागरिक और बाशिन्दे इस बात से अचम्भित हैं कि, करीब चार माह से यहां दिखाए जा रहे ‘स्मार्ट सिटी’ वाले सपने को साकार होने में अभी और कितना वक्त लगेगा ? बार बार – खबरों की सुर्ख़ियों और अफसरों की टेबिलों पर धुल झाड़ती स्मार्ट सिटी की फाइलें कहीं कागजी शेर ही साबित ना हो जाए ?
चूँकि इस बात को भी सुन सुन कर कान पक गए हैं की, सड़कें चौड़ी होंगी ? 24 घंटे पानी मिलेगा, रेल क्रॉसिंग्स पर ओवरब्रिज बनेंगे। रेलवे स्टेशन पर हैलीपैड बनेगा ? मुख्य सडक पर एलीवेटेड रोड बनेंगी।बहुमजिले पार्किंग स्थल विकसित किये जाएंगे । पुरे शहर में मुख्य सड़कों पर व्हाइट लाइने डलेगी । पैराफेरी एरियाज में नई कालोनीज डवलप होगी।आनासागर झील के किनारे किनारे चहू ओर चौपाटी निर्माण होगा ।और सड़कों पर साइकिल वालों के लिए अलग से नया ट्रैक होगा ।वगैरा वगैरा बहुत कुछ।और अब स्कूलो की और से इसी नाम पर प्रतियोगिताएँ भी दौडाई जा रही हैं, जिसमे चित्रकला और वाद-विवाद सहित सांस्कृतिक आयोजन हो रहे।
लोग यहाँ इस बात से जरा ज्यादा ही अचंभित इसलिए भी हैं की, पहले ही बड़ी सड़कों की दुर्दशा तो सुधर नहीं रही, ट्रैफिक समस्या का कोई– समाधान नहीं ! बाजारो और मुख्य सडको पर अभी वाहनो, ठेले और रेहडी वालो के कब्जे हटे नही ।हर गली में अतिक्रमणोंकी भरमार । जहां शहर मे ही फुटपाथ का अतापता नही है, शहर की सफाई वाली व्यवस्था खुद कचरे के डब्बे से बाहर आने को तड़प रही हो, स्ट्रीट लाइट्स दिन में ही जलती रहतीं हो, और बिजली बिल करंट मारते हों, अपराधियो की धरपकड यदाकदा होती हो वो शहर ‘स्मार्ट सिटी’ बनेगा कैसे- और कब ? करोड़ों रूपया पानीकी तरह बहा नहीं- दिया जायेगा ? किसी ने सच कहा है, जनता के खून पसीने से सींचे गये टैक्स की कीमत जनता केलिए ,जनता द्वारा ( नेता और अफसरो के जरिये )नालियों मे बहा दिया जाएगा जैसे कचरा ?
सरकारी विद्धालयों मे जहा शिक्षको का अभाव हो, वहा बच्चे पढाई मे कमजोर मिलते हों–सड़कों पर आवारा पशुऔ का जमावडा रहता हो, कचरा डिपो के बाहर तक फैला पडा रहता हो पालतु पशु उसे खाते दिखते हो। निगम के कांजी हाउस में रोज गाये दम तोड रही हों । सफाई व्यवस्था केवल कागजों मे सुधरी हो। नित रोग बढते हो, बाजारो मे पैदल चल पाना ही आसान न हो ।खास सडको पर हर घडी जाम से जूझना पडजाए, वहां क्या सबकुछ स्मार्ट होने जा रहा है ! वाकई सपना तो स्मार्ट ही दिखाया जा रहा है ………
ऊपर से तुर्रा यह की मोदीजी और ओबामा महाशय के सपनों को साकार करना है।चूंकी ओबामा जी के गुरुवर का इस शहर से खास लगाव रहा बताया शायद यही वजह रही हो , सो देश के स्मार्ट हो रहे कुछ चुनिंदा शहरों में अजमेर का नाम शामिल
करा दिया गया है।खैर जो भी हो देखना है कि कितना जल्दी ये – स्मार्ट सिटी वाला सपना सच साबित होता है ? ईश्वर से प्रार्थना तो यही करते हैं । सुना है अब भी तैयारियां जोरशोर से चल रही है। इधर मौसम भी है और विकास की जेबों में गर्माहट भी ।
हो सकता है जब आप मेरा यह ब्लॉग पढ रहे हों तब फिर किसी नई घोषणा का स्वागत होता दीखे। वैसे आपको बताते चलें कि, यहां के पांच पांच बड़े नेता और मंत्रियों की अनेकता में बसी एकता वाले विचारों के चलते कुछ संभावना तो बनती ही है ना बस इसीसे…..
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
[email protected]

error: Content is protected !!