राठौड़ दम्पत्ति चाहते हैं कि मुख्यमंत्री के अजमेर दौरे में उनसे मुलाकात करवाई जाए

vasundhara 7अजमेर के जवाहर लाल नेहरू अस्पताल में गत 57 दिनों से पीरदान सिंह राठौड़ और उनकी पत्नी श्रीमती कैलाश कंवर अनशन पर हंै। गत 10 दिसम्बर को अनशन की शुरुआत कलेक्ट्रेट के फुटपाथ से की गई थी और बाद में तबीयत बिगडऩे पर पुलिस ने राठौड़ दम्पत्ति को जबरन अस्पताल में भर्ती करवा दिया। राठौड़ दम्पत्ति का कहना है कि जब मरने की नौबत आती है तो पुलिस और अस्पताल के डॉक्टर मिलकर जबरन इलाज शुरू कर देते हैं। चूंकि हमने अन्न का एक दाना भी नहीं खाया है इसलिए हम तो स्वयं को आज भी आमरण अनशन पर ही मान रहे हैं। राठौड़ दम्पत्ति अपने ऊपर हुए जुल्मों की जांच सीबीआई से कराने की मांग कर रहे हैं। आरोप है कि देश के प्रमुख मार्बल कारोबारी आर.के.मार्बल के मालिक अशोक पाटनी, विमल पाटनी और सुरेश पाटनी के दबाव की वजह से ही उनकी दो बेटियों और दो बेटों तक के खिलाफ पुलिस ने झूठे मुकदमे दर्ज किए हैं। अब राठौड़ दम्पत्ति चाहते हैं कि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के प्रस्तावित 6 फरवरी के अजमेर दौरे में उनसे मुलाकात करवाई जाए। इस मुलाकात के लिए 4 फरवरी को राठौड़ दम्पत्ति ने लिखित में कलेक्टर के दफ्तर में आवेदन कर दिया है। इस आवेदन में कहा गया है कि अजमेर रेंज की आईजी श्रीमती मालिनी अग्रवाल और एसपी डॉ. नीतिन दीप ब्लग्गन ने गत दिनों जो वायदा किया था, उसे 5 फरवरी को सायं 6 बजे तक लागू नहीं किया तो वे अपना इलाज लेना बंद कर देंगे। यदि जबरन इलाज की कोशिश की गई तो अपने कोटेज रूम का दरवाजा अंदर से बंद कर लेंगे और किसी को भी घुसने नहीं देंगे। चूंकि 57 दिनों से हम भूख से तड़प रहे हैं, ऐसे में यदि हमारी मौत हो जाए तो इसकी जिम्मेदारी जिला और पुलिस प्रशासन के साथ-साथ आर.के.मार्बल के मालिकों की होगी। यानि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के प्रस्तावित 6 फरवरी के दौरे से पहले ही राठौड़ दम्पत्ति मौत को गले लगा लेंगी। डॉक्टरों का भी मानना है कि लगातार भूखे रहने से राठौड़ं दम्पत्ति का स्वास्थ्य बेहद खराब है। वहीं पीरदान सिंह राठौड़ का कहना है कि गत दिनों आईजी और एसपी ने उनसे मुलाकात की थी, तब कहा गया था कि बेटी और बेटों के खिलफ जो मुकदमें दर्ज हैं, उनकी जांच मेरे बताए अधिकारी से करवा दी जाएगी। पांच दिन पहले मैंने पांच आईपीएस अधिकारियों के नाम दे दिए, लेकिन आज तक भी जांच अधिकारी के नाम की घोषणा नहीं की है। इससे प्रतीत होता है कि पुलिस निष्पक्ष जांच नहीं करवाना चाहती है। यदि 6 फरवरी को सीएम राजे अजमेर आती हैं तो हम मिलने का भरसक प्रयास भी करेंगे। गत बार 13 जून को सीएम राजे पुष्कर आई थी, तब भी मिलने का प्रयास किया गया था। लेकिन 12 जून की रात को ही पुलिस ने मुझे गिरफ्तार कर जेल भिजवा दिया। राठौड़ ने सवाल उठाया है कि क्या लोकतांत्रित व्यवस्था में कोई पीडि़त व्यक्ति मुख्यमंत्री से नहीं मिल सकता? राठौड़ ने उम्मीद जताई है कि यदि पुलिस नहीं मिलने देगी तो मुख्यमंत्री राजे भी हमें बुलाकर बात कर सकती हैं। वहीं राठौड़ दम्पत्ति ने पांच फरवरी की शाम से इलाज न लेने की जो चेतावनी दी है उससे एक बार फिर प्रशासन में हड़कंप मच गया है।

(एस.पी. मित्तल) (04-02-2016)
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