अजमेर प्रशासन के मकड़ जाल में उलझ गया पुष्कर का रोप-वे

savitri mata rope way 2प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे देशी-विदेशी निवेश के लिए ईमानदारी और पारदर्शिता का तो दावा करते हैं, लेकिन अफसरशाही की वजह से मोदी और वसुंधरा राजे के दावे फेल हो रहे हैं। इसका ताजा और मजबूत उदाहरण संसार प्रसिद्ध पुष्कर तीर्थ में पिछले दो माह से तैयार रोप-वे है। पुष्कर में आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों को पहाड़ी पर बने सावित्री माता के मंदिर के दर्शन कराने के लिए ही 780 मीटर लम्बा रेप-वे तैयार किया गया है। इस रोप-वे के निर्माण पर 12 करोड़ रुपए की राशि खर्च हुई है। रोप-वे के लिए वन, पर्यावरण, अग्निश्मन, नगर पालिका, राज्य सरकार आदि से जो भी अनुमति चाहिए, वह सब संबंधित कंपनी ने प्राप्त कर ली है। लेकिन राज्य सरकार और कंपनी की सारी कवायद अजमेर के जिला प्रशासन के मकडज़ाल में फंस कर रह गई है। प्रशासन के अधिकारी यह भी नहीं बता रहे हैं, आखिर रोप-वे के शुरू करने की अनुमति क्यों नहीं दी जा रही है? जिस कपंनी ने 12 करोड़ रुपए की राशि लगा दी है, उसे एक-एक दिन गुजराना मुश्किल हो रहा है। कंपनी के अधिकारी अब इतने दु:खी है कि जिला प्रशासन की हर शर्त को पूरा करने को तैयार हैं। कंपनी के यह समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर जिला प्रशासन अनुमति क्यों नहीं दे रहा है? अनुमति नहीं मिलने से कपंनी को तो आर्थिक नुकसान हो ही रहा है, साथ ही पुष्कर आने वाले श्रद्धालु खासकर महिलाएं सावित्री माता के दर्शन करने से वंचित हो रही हैं। यदि नरेन्द्र मोदी और वसुंधरा राजे तत्काल रोप-वे के मामले की जांच करवाती हैं तो पता चल जाएगा कि अफसरशाही किस प्रकार से तंग करती है। जहां तक कंपनी के अधिकारियों का सवाल है तो उनका तो चुप रहने में ही भला है, क्योंकि रोप-वे का संचालन इसी प्रशासन की देखरेख में करना है। यदि मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री से शिकायत की गई तो फिर अजमेर प्रशासन रोप-वे को कभी भी नहीं चलने देगा। अच्छा हो मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री पहले अपनी सरकार की अफरसशाही को ईमानदार बनाएं।

(एस.पी. मित्तल) (19-04-2016)
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