कांग्रेस में एक ओर सिंधी चेहरा उभरा

congress logoअजमेर शहर जिला कांग्रेस के प्रभारी बनाए गए प्रदेश कांग्रेस सचिव सुनिल पारवानी को यह दायित्व देने के पीछे पार्टी का जो भी मकसद रहा हो, मगर अजमेर उत्तर के सिंधी दावेदारों ने तो इसे इस रूप में लिया है कि वे आगामी विधानसभा चुनाव में गंभीर दावेदार के रूप में सामने आ सकते हैं। जाहिर तौर इससे दावेदारों में खलबली मच गई है। अब तक वे सोच रहे थे कि उनमें से कोई न कोई स्थानीय दावेदार टिकट हासिल कर लेगा, चूंकि इस बार किसी सिंधी को टिकट दिया जाना संभावित है, मगर अब लग रहा है कि पारवानी दमदार होने के कारण पेराटूपर की टपक सकते हैं।
हालांकि प्रदेश कांग्रेस का जाहिर एजेंडा ये लगता है कि पारवानी को सिंधी समाज में कांग्रेस की पेठ बनाने के लिए भेजा गया है, मगर साइलेंट एजेंडा ये माना जा रहा है कि उन्हें पूरे दो साल का भरपूर समय दे कर चुनाव लडऩे की तैयारी का मौका दिया गया है। वस्तुत: भूतपूर्व केबीनेट मंत्री स्वर्गीय किशन मोटवानी के बाद कोई भी सिंधी नेता कांग्रेस में दमदार तरीके से स्थापित नहीं हो पाया, इस कारण धीरे धीरे कांग्रेस विचारधारा के सिंधी भी भाजपा की ओर खिसक गए। चूंकि अजमेर की दोनों सीटों पर सिंधियों का दबदबा है, इस कारण कांग्रेस को चुनाव जीतने के लिए सिंधियों में घुसपैठ करनी ही होगी। कदाचित इसी के मद्देनजर पारवानी को अजमेर का प्रभारी बनाया गया है। उनकी इस नियुक्ति से गंभीर दावेदारों नरेश राघानी, डॉ. लाल थदानी, हरीश हिंगोरानी, रश्मि हिंगोरानी आदि में खलबली होना स्वाभाविक है। वे यह जानते हैं कि कम गंभीर दावेदार अथवा यूं ही दावेदारी ठोकने वाले इस स्थिति का फायदा उठाना चाहेंगे। वे पारवानी की मिजाजपुर्सी करके पार्टी में कोई न कोई पद हासिल करने की जुगत बैठाएंगे। यानि कि पारवानी को स्वत: ही फॉलोअर मिल जाएंगे, जिसका वे चाहें तो आगे चल कर फायदा उठा सकते हैं।
हालांकि अभी यह दूर की ही कौड़ी है कि पारवानी को अजमेर भेजने का मकसद यहां चुनाव की जमीन तैयार करना है, मगर इसके राजनीतिक मायने तो यही निकाले जा रहे हैं।

-तेजवानी गिरधर
7742067000, 8094767000

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