भीषण गर्मी में पानी की भारी किल्लत का राजनीतिकरण

राजेश टंडन
राजेश टंडन
श्रीमान् जिलाधीश महोदय,
अजमेर

विषय:- अजमेर जिले में भीषण गर्मी में पानी की भारी किल्लत के
राजनीतिकरण के संदर्भ में।
महोदय,
राजस्थान के साथ-साथ अजमेर जिला भी भीषण पानी की समस्या से जूझ रहा है पहले जब पानी कम मिलता था तो रोजाना पानी की आपूर्ति होती थी अब जब ज्यादा मात्रा में पानी की आपूर्ति हो रही है तो 48 घण्टे में एक बार पानी दे रहे हैं बीसलपुर पर 661 करोड़ रूपये खर्च कर भी अजमेर को पानी नहीं दिया जा रहा है जबकि तापमान सरकारी आंकड़ों के हिसाब से 46-47 डिग्री से पार कर रहा है ऐसी स्थिति में पानी की हरएक को कितनी आवश्यकता है इसका अंदाजा आप व सरकार दोनों ही स्वयं लगा सकते हैं।
जब 48 घण्टे में पानी दिया जाता है तो भी इस व्यवस्था व्यवधान आता रहता है और जलापूर्ति 72-90 घंटे पंहुच जाती है ऐसा सामान्यतः बीसलपुर की पाईपलाईन का टूटना और योजनाबद्ध तरीके से पाइपलाइनों को तोड़ लिया जाना, शटडाउन लेना, बिजली की ट्रिपिंग होना, पम्पों का फेल होना, सड़कों की खुदाई बिना पूछे होने के कारण हैं जिससे जलापूर्ति बाधित होती है और कुछ ठेकेदारों की मनमानी भी है जिन्हें पूर्ण रूप से राजनीतिक संरक्षण मिला हुआ है वो जब चाहे पाईप लाईन तोड़ देते हैं और जलापूर्ति बाधित कर देते हैं ये विभाग को भी पता है और सरकार को भी पता है।
महोदय कई बस्तियां ऐसी हैं जैसे उसरी गेट, रावण की बगीची, गुलाब बाड़ी, लुहार बस्ती जहां पानी स्टोरेज करने के लिये ना तो टैंक हैं और ना ही उनके पास कोई साधन है शहर में करीब 45 प्रतिशत परिवार ऐसे हैं डेढ लाख उपभोक्ताओं में से जिनके पास पानी को संकलित या स्टोर करने का कोई साधन नहीं है। जलदाय महकमा दो भागों में बंटा हुआ है और उनको राजनीतिक रूप से ऐसे निर्देश दिये जाते हैं कि इस क्षेत्र से हमें वोट कम मिले थे लौंगिया, अन्दरकोट, शीशाखान इन्हें जलापूर्ति कम करो। दक्षिण में भी लगभग इसी प्रकार के समीकरण बनाये हुए हैं 48 घण्टे में जो जलापूर्ति होती है वो भी 50 मिनट की होती है परन्तु वो 25-30 मिनट तक होती है जिसमें प्रेशर कम होता है और उपर की मंजिल में पानी नहीं पंहुचता है जलापूर्ति के लिये अगर नगर को राजनीतिक रूप से बांटा जायेगा या वी.आई.पी. क्षेत्रों और गरीब बस्तियों में भेदभाव किया जायेगा तो सामान्य नागरिक का जीना दूभर हो जायेगा।
मेरी आपसे प्रार्थना है कि आप जलदाय विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को निर्देशित करें कि वो किस क्षेत्र में कब-कब और कैसे-कैसे पानी की आपूर्ति कर रहे हैं वो आपको सूचित करते रहें और आप अपनी निगरानी में एक कन्ट्रोल रूम बनवा दें ताकि कोई भी शिकायत आने पर उस पर तुरन्त कार्यवाही हो जाये कि फलां क्षेत्र में जलापूर्ति नहीं हुई। लोग पानी के बिलों के पैसे दे रहे हैं फिर ये भेदभाव क्यों ? अब तो पानी के जलदाय विभाग ने शुल्क भी बढ़ा दिये है फिर उपभोक्ता को क्यों परेशान कर रहे हैं ? बाहरी क्षेत्र में तो 1100 रूपये तक के बिल पानी के भेजे जा रहे हैं और जलापूर्ति कितनी हो रही है यह जांच का विषय है।
महोदय बाकी विकास के कार्यों में गलियों में सड़कों के निर्माण और स्ट्रीट लाईट, हैण्डपम्प, नाली आदि में तो राजनीतिकरण हो सकता है परन्तु जलापूर्ति में राजनीतिकरण हो यह उचित नहीं है माननीय सर्वोच्च न्यायालय तक ने पानी और बिजली को मनुष्य की महती आवश्यकता बताया है और उसकी पूर्ति करना सरकार का जिम्मा बताया है उसे कोई नहीं बाधित कर सकता है यह विधि का प्रतिपादित सिद्धान्त है मेरी आपसे प्रार्थना है कि आप अपने देखरेख में जलापूर्ति नियमित हो इसकी व्यवस्था के लिये संबंधित विभाग को आदेशित व निर्देशित करें, जन हित में।

अजमेर
दिनांक: 24.05.16 राजेश टण्डन
पूर्व सचिव राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी,
अजमेर

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