देवनानी के कथित पीए की वजह से पकड़ रहा है मामला तूल

वासुदेव देवनानी
वासुदेव देवनानी
जयपुर जिले के कोटपुतली के प्रागपुरा इलाके की राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, दांतिल में कार्यरत कार्यालय सहायक दिनेश शर्मा के कार्यस्थल पर ही फांसी का फंदा लगा कर आत्महत्या कर लेने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। मामले में गर्माहट की बड़ी वजह ये है कि आरोपियों में से एक कर्मचारी शिव शंकर शर्मा को आत्महंता ने अपने सुसाइड नोट में शिक्षा राज्य मंत्री प्रो. वासुदेव देवनानी का पीए बताया है। हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, मगर इतना पक्के तौर पर बताया जा रहा है कि वे देवनानी के बेहद करीब है। यह तो जांच से ही स्पष्ट हो पाएगा कि उसकी देवनानी के दफ्तर में कितनी घुसपैठ थी, मगर दैनिक नवज्योति समाचार पत्र ने तो बाकायदा संकेत दिए हैं कि वह देवनानी का करीबी है। उसमें लिखा है कि पिछले कार्यकाल में वह उनका पीए था और उनके सारे निजी काम उसके मार्फत होते थे और विभाग में अपनी काफी पैठ जमा रखी थी।
जहां तक भाजपाइयों की जानकारी का सवाल है, उनके बीच भी कानाफूसी है कि जिस शिव शंकर शर्मा का नाम आत्महंता ने लिया है, वह देवनानी के बेहद करीब है और जयपुर में उनके व्यक्तिगत कामों में हाथ बंटाता है। उधर जानकारी ये भी मिली है कि पुलिस ने अपनी जांच में उसे पीए होने से इंकार किया है, मगर उसके देवनानी से करीबी होने के मामले में वह चुप्पी साधे हुए है। एक सवाल ये भी उठता है कि आखिर किस आधार पर मृतक ने उसे देवनानी का पूर्व व वर्तमान पीए बताया, उसमें एक संभावना ये है कि खुद शर्मा ही अपने आपको देवनानी का पीए बताता रहा हो। कुल मिला कर यह स्पष्ट है कि यदि यही वह शिव शंकर शर्मा है, जो कि दिनेश शर्मा की आत्महत्या के मामले में आरोपी है, तो यह देवनानी के लिए मुश्किल पैदा करने वाला हो सकता है। भले ही सीधे तौर पर यह साबित नहीं किया जा सके कि प्रकरण में जिस लेनदेन का जिक्र है, उसका देवनानी से कोई भी संबंध है, मगर कथित पीए के मंत्रालय व निदेशालय में घुसपैठ की बात पुष्ट होती है तो महकमे में तबादलों का व्यापार होने पर जरूर रोशनी पड़ सकती है।
16.50 लाख रुपए हड़पने का आरोप तबादला व्यापार की ओर गंभीर इशारा
मृतक ने सुसाइड नोट में शिव शंकर शर्मा के बारे में लिखा है कि उसने उससे 16.50 लाख रुपए ले लिए और अध्यापकों के स्थानांतरण व पदस्थापन का बोला और कहा कि आप केस लाओ, मेरे को कमाई करावो, आपको मैं दे दूंगा। उसने रुपए भी ले लिए और मेरा काम भी नहीं करवाया। पैसे लौटाने की कहने पर धमकी देता व परेशान करता। वर्तमान में शिक्षा राज्य मंत्री कार्यालय में कार्यरत कनिष्ठ लिपिक अनूप व्यास और शिक्षा उपनिदेशक, माध्यमिक एवं जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक द्वितीय, जयपुर में कार्यरत कार्मिक विरेन्द्र दाधीच, सुनिल मोदी, गोविंद, राजेश विजय, सुनिल दत्त, रेवती रमण ने मिल कर परेशान किया और द्वेषता रखते हुए पहले टकसोना पावटा किया और बाद में कार्यालय सहायक के पद पर दाखिल किया। उसने लिखा है कि काम न होने पर पैसे देने वाले पैसे मांगने लगे। इस पर जब उसने पैसे लौटाने को कहा तो वे बोले कि पैसे वालों से माफी मांग लो, पैसे तो नहीं मिलेंगे। इससे दुखी हो कर उसने आत्महत्या कर ली। सुसाइड नोट से यह भी स्पष्ट होता है कि मृतक भी इस तबादला व्यापार में शामिल था और जब अध्यापकों से पैसे लेकर भी काम न करवा पाया तो आखिरकार उसे आत्महत्या करनी पड़ी।
इस बीच उस कथित पीए की वजह से ही मामला तूल पकड़ रहा है। इस मामले में राजस्थान मंत्रालयिक कर्मचारी परिषद के प्रदेश महामंत्री रणधीर कच्छावा ने मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर मामले की न्यायिक जांच करवा कर दोषियों को सजा दिलवाने की मांग की है। इसी प्रकार राजस्थान राज्य शिक्षा कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष ललित मोहन शर्मा ने भी मामले की उच्च स्तरीय जांच करवाने की मांग की है और संबंधित ज्ञापन राज्यपाल व मुख्यमंत्री निवास पर भी दिया है। राजस्थान राज्य कर्मचारी संघ और राजस्थान राज्य मंत्रालयिक संघर्ष समिति के प्रतिनिधिमंडल ने गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया को भी ज्ञापन दिया है। उल्लेखनीय है कि स्वयं दिनेश शर्मा ने भी मरने से पहले अपने पत्र में राज्यपाल, मुख्य न्यायाधीश, मुख्यमंत्री सहित मुख्य सचिव, शासन सचिव गृह-शिक्षा, पुलिस महानिदेशक, पुलिस कमिश्नर, पुलिस अधीक्षक जयपुर दक्षिण, थानाधिकारी बजाज नगर, थानाधिकारी वैशालीनगर, जयपुर और कर्मचारी संघ के नेताओं व समाचार पत्रों के संपादकों को संबोधित किया है, अर्थात उसने आत्महत्या करने से पहले इन सभी ये पत्र भेजा था।

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