चिकित्सक का तुगलकी फरमान, मरीज परेशान

हकीकत बयां करती तस्वीरें.. 1. रात में सीसीयू वार्ड में खाली बैड। 2. डॉ.पोरवाल द्वारा जारी आदेश। 3. रात में मरीज को लेकर परेशान होते परिजन। 4. गंभीर हालत में पुन: सीसीयू में ले जाते परिजन।
हकीकत बयां करती तस्वीरें.. 1. रात में सीसीयू वार्ड में खाली बैड। 2. डॉ.पोरवाल द्वारा जारी आदेश। 3. रात में मरीज को लेकर परेशान होते परिजन। 4. गंभीर हालत में पुन: सीसीयू में ले जाते परिजन।
राजकीय अमृतकौर अस्पताल में अंधेरगर्दी
ब्यावर। सरकारी अस्पताल में हर मरीज का अच्छे से इलाज हो, इसके लिए सरकार संवेदनशील है। आमजन को राहत पहुंचाने के लिए जांच से लेकर दवाईयां तक निशुल्क कर रखी है। गंभीर बीमारी से ग्रस्त मरीज को तत्काल उपचार मिले, इसके लिए सीसीयू और आईसीयू वार्ड भी बना रखे हैं। लेकिन चिकित्सकों की मनमर्जी और तुगलकी फरमान के आगे मरीज और परिजन परेशान हैं। आलम यह है कि गंभीर मरीज की जान संसत में होने पर भी बेरहम चिकित्सक गंभीरता नहीं दिखाते।
मामला चार जिलों से सटे ब्यावर उपखण्ड के सबसे बड़े राजकीय अमृतकौर अस्पताल का है। गत सोमवार रात 11 बजे आदर्श नगर निवासी श्रीमति राजेश देवी पत्नी स्व.राजेंद्र अग्रवाल को उच्च रक्तचाप से सीने में दर्द हुआ। इस पर परिजन उन्हें लेकर अमृतकौर अस्पताल पहुंचे। यहां ड्यूटी डॉक्टर एसएस चौहान ने जांच के बाद हालत गंभीर होने की बात कहते हुए सीसीयू वार्ड में भर्ती कर उपचार शुरू कर दिया। रात 12.50 बजे मरीज को आराम मिलने से आंख लगी ही थी कि सीनियर डॉ.प्रमोद पोरवाल सीसीयू वार्ड में भर्ती मरीजों की जांच करने पहुंचे। यहां पोरवाल ने मरीज राजेश देवी की जांच की और तबीयत ठीक बताते हुए उन्हें जनरल फिमेल वार्ड में शिफ्ट करने के लिए वार्ड प्रभारी को आदेश दिए। इस पर उन्हें सीसीयू से जनरल वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया। रात 2.30 बजे मरीज राजेश देवी की हालत फिर बिगड़ गई। ड्यूटी डॉक्टर चौहान ने गंभीर हालत को देखते हुए मरीज को तत्काल सीसीयू में शिफ्ट करवाया।
पूरे घटनाक्रम ने चिकित्सा महकमे की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए। जब ड्यूटी डॉक्टर ने मरीज की गंभीरता को देखते हुए रात 11 बजे सीसीयू वार्ड में भर्ती किया तो फिर ऐसी क्या वजह थी कि डॉ.पोरवाल ने रात 12.50 बजे उस मरीज को जनरल वार्ड में शिफ्ट करवाकर बैड खाली करवाया। यदि गंभीर मरीज को इधर-उधर शिफ्ट करने के दौरान कोई अनहोनी होती तो उसका जिम्मेदार कौन होता? अगर अस्पताल में चिकित्सकों का रवैया डॉ.पोरवाल जैसा रहा तो मरीजों का धरती के भगवान से भरोसा उठ जाएगा।

..इसलिए नहीं आते सरकारी अस्पताल

सरकार की कई कोशिशों के बावजूद मरीजों के सरकारी अस्पताल से दूरी बनाने की वजह शायद यही है कि यहां समुचित उपचार मुहैया नहीं करवाया जाता। कुछ चिकित्सकों का बर्ताव भी मरीजों व परिजन के प्रति ठीक नहीं होता। यह मामला एक मीडियाकर्मी के रिश्तेदार से जुड़ा है इसलिए सामने आ गया, अन्यथा न जाने कितने मरीज और परिजन परेशान होकर लौट जाते हैं। निजी अस्पतालों में मोटी रकम खर्च करने की पीछे भी यही वजह होती है कि वहां उन्हें पर्याप्त उपचार मिलता है।

जवाब देने से कतरा रहे अधिकारी

घटनाक्रम के बाद राजकीय अमृतकौर अस्पताल के जिम्मेदार अधिकारियों से बात करनी चाही मगर कोई भी प्रतिक्रिया देने को तैयार नहीं हुआ। एक अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि अस्पताल में चिकित्सकों की कमी है। ऐसे में चिकित्सक मजबूर हो जाते हैं। कोई लिखित शिकायत देता तो जांच करवा लेते।

सुमित सारस्वत

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