*हां में आदि अनादि तीर्थ पुष्कर हूँ*

राकेश भट्ट
राकेश भट्ट
* में जगतपिता ब्रम्हा का एक मात्र तीर्थ पुष्कर हूँ ।
* में श्रष्टि रचयिता ब्रम्हा की तपोभूमि और श्रष्टि की निर्माण स्थली हूँ ।
* में हजारो सालो से अनवरत जीवो को मोक्ष प्रदान कर उनके पापो का हरण करने वाला हूँ ।
* हां में पृथ्वी पर स्थित साढ़े तीन करोड़ तीर्थो का गुरु पुष्कर हूँ ।
* में लाखो करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बिंदु भी हूँ ।
* हां में आप सभी का अन्नदाता , आराध्य देव , और आपकी पहचान हूँ ।

बीते 10 , 12 सालो के दौरान देश और राज्यो की अलग अलग सरकारो ने मेरे सौन्दर्यीकरण के लिए करोड़ों रुपयो का बजट भी दिया और उसे हमारे जिम्मेदार नेताओ और अधिकारियो ने पानी की तरह बहाया भी । चाहे झील संरक्षण की योजना हो या फिर ह्रदय योजना , चाहे टेम्पल सिटी के रूप में विकसित करने की योजना हो या फिर अन्य कोई योजना । सभी योजनाये पुष्कर तीर्थ के समग्र विकास और सौन्दर्यीकरण को लेकर ही लागू की जा रही है । चलो यह भी समय के हिसाब से जरूरी है । इससे आने वाले श्रद्धालुओं को ज्यादा सुविधाएँ मिलेगी ।
परंतु इतना होने के बाद भी में दुखी हूँ । आज फिर में चिंतित हूँ बारिश के उस गंदे पानी के आने की आहट से । जो चंद रोज बाद एक बार फिर आकर मुझमे समाने वाला है । जैसे जैसे बारिश के दिन नजदीक आते जा रहे है वैसे वैसे मेरी बैचेनी बढ़ती जा रही है ।

pushkar 21बीते सालो के दौरान मैंने कई बार गंदे पानी के मुझ में समाने की पीड़ा सही है । कई बार मेरी पवित्रता सीवरेज की गन्दगी से मलीन हुई है । कई बार में अपनी इस दुर्दशा पर आंसू बहा चुका हूँ । बीते कुछ सालो से हर बार बारिश के दौरान मेरे अंदर समाने वाली गन्दगी की रोकथाम के लिए बड़े बड़े दावे किये जाते है । कागजो में करोडो रुपयो की योजनाये बनाई जाती है । बड़े बड़े अधिकारी स्थानीय लोगो के साथ बेठके करके प्लानिंग बनाते नजर आते है । दिखावे के लिए वे अपने अधीनस्थ कर्मचारियों को दिशा निर्देश भी देते है ।

लेकिन फिर हर साल की तरह बारिश का गंदा पानी एक दो नहीं कई जगहों से मुझ में समाने के लिए तैयार है । मेरी लाख कोशिशो के बावजूद वह हर साल मेरी अंतरात्मा को छलनी कर रहा है । मुझे पता है इस साल भी वही हश्र होना है जो पिछले कई सालो से लगातार होता आ रहा है । लेकिन कब तक में यह दंश झेलता रहूँगा ।

मुझे पता है हर साल की तरह इस साल भी कुछ जागरूक लोग और तीर्थ पुरोहित दुःखी मन से आवाज उठाएंगे । कुछ समाचार पत्रो में सुर्खिया बन जायेगी । कुछ नेता भविष्य में ऐसा नहीं होने देने की घोषणा कर अपनी पीठ थपथपायेंगे । अधिकारी खाना पूर्ती करने के लिए कुछ वैकल्पिक व्यवस्थाओ को अंजाम देने का दिखावा करेंगे और फिर मानसून ख़त्म होने के बाद सब मेरी पीड़ा को भूल कर अपनी जिंदगी में मस्त हो जायेगे ।

लेकिन यह सिलसिला कब तक चलता रहेगा । क्या आदि अनादिकाल से चला आ रहा मेरा अस्तित्व हर बार यूँ ही गंदे पानी से मलीन होकर मुझे असहनीय दर्द देता रहेगा । आखिर कब तक में यह दर्द सहूं और क्यों सहू । वो भी तब जब यहाँ पर इतने रसूखदार और मजबूत नेता है , कई जिम्मेदार अधिकारी है , करोड़ों रुपयो की योजनाएं स्वीकृत है , यहाँ की जागरूक मीडिया और आम जनता है । इतना सब होने के बावजूद भी किसी को मेरी अंदरुनी तकलीफ नजर नहीं आती ।

आज हर कोई मेरे तीर्थ के बाहरी सौन्दर्यीकरण को और अच्छा बनाने में जुटा है । लेकिन जब तक अंदर से शुद्धिकरण नहीं होगा । मेरी अंतरात्मा को होने वाली पीड़ा दूर नहीं होती तब तक बाहरी सुन्दरता का कोई महत्त्व नहीं है । मेरा पुष्कर के सभी नेताओ , अधिकारियो और आम जनता से अनुरोध है की आप सभी सामूहिक प्रयास करके मुझे इस पीड़ा से निजात दिलाये ताकि में अपनी पवित्रता बरकरार रखते हुए आने वाले श्रद्धालुओं के पापो का हरण कर उन्हें मोक्ष प्रदान कर सकू ।

*आप सभी का अन्नदाता स्वयं श्री पुष्कर राज*

राकेश भट्ट
प्रधान संपादक
पॉवर ऑफ़ नेशन

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